क्या जिंदगी एक जुआ नहीं ? क्या हमारा भविष्य किसी अन्य के सुझाव , किसी अन्य के परामर्श का फल है ? क्या हमारा संपूर्ण जीवन किसी अन्य की बुद्धि का परिणाम है ? क्या हमने कभी विचार किया है ?
पार्वती काल वो है जो जीवन को समझने की कोशिश कर रही है और ऐसा करने के लिए वो पहले से भी लंबे समय से खोए हुए स्वयं की खोज के लिए अपनी खोज पर है, वो स्वयं जो जटिल है फिर भी अपने आप में पर्याप्त है। ताकि सही समय आने पर वो अपने अस्तित्व का एहसास कर सके।