लीडरशिप रेस नहीं, रिश्ता है।
एक लड़का गाँव से शहर आया…
ना टू-व्हीलर चलाना आता था, ना रास्ते पहचानता था।
कई बार गिरा, कई बार डाँट खाई,
पर हर गलती से कुछ नया सीखा।
वही लड़का अब अपनी टीम के बीच लीडर बन खड़ा था।
वही अपनापन, वही सादगी और वही जज़्बा —
बस नज़र का कोण बदल गया था।
जब भी वह किसी नए एक्ज़िक्यूटिव से मिलता,
वह खुद को उसमें देखता।
यही कनेक्शन उसकी सबसे बड़ी ताकत थी |
वह समझ गया था —
लीडरशिप रेस नहीं, रिश्ता है।
और रिश्ता दिमाग से नहीं, दिल से निभाया जाता है।
यही कहानी है इस किताब की —
“दिल से लीडरशिप — टीम से टॉप तक।”
हर अध्याय आपको आपकी अपनी शुरुआत,
आपकी जड़ों और आपकी टीम से फिर से जोड़ देगा।
क्योंकि हर लीडर का असली टॉप वहीं है,
जहाँ उसके लोग उसके साथ हों।
अगर आप भी टॉप तक जाने की चाह रखते हैं,
तो आपने सही किताब चुनी है।
“दिलों पर राज करना ही असली बादशाही है,
हुकूमत तो बस कुर्सियों की मेहरबानी है।”
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