बच्चों के लिए रंगमचीय नाटक बहुत कम हैं, खासकर हिंदी में । बच्चों के लिए नाटक लिखना आसान भी नहीं, क्योंकि नाटक को कई नियमों से होकर गुजरना होता है,
जैसे कि-
* नाटक रोचक हो, जो बच्चों को शुरू से अंत तक बाँधे रखे ।
* नाटक के संवाद छोटे-छोटे हों ताकि बच्चे उन्हें आसानी से याद कर सकें ।
* नाटक की भाषा बच्चों के अनुकूल होनी चाहिए ।
* नाटक में दृश्य परिवर्तन कम होने चाहिए ।
* नाटक ऐसे होने चाहिए कि उन्हें बिना किसी ताम-झाम के आसानी से मंचित किया जा सके ।
इस पुस्तक के सभी नाटक इन नियमों पर खरे उतरते हैं। कहानियाँ जान बूझकर पुरानी ली गई हैं, लेकिन उनका प्रजेन्टेशन बिल्कुल नये अंदाज में है । संवाद छोटे-छोटे और गुदगुदाने वाले हैं । भाषा बिल्कुल आज की है - सहज, चुटीली और बोलचाल वाली। दृश्य काफी कम हैं, और कुछ नाटकों में तो दृश्य- परिवर्तन होता भी नहीं। इन नाटकों को बिना किसी ताम-झाम के आसानी से कहीं भी मंचित किया जा सकता है। ये सभी नाटक कई बार मंचित हो चुके हैं और दर्शकों की वाहवाही लूट चुके हैं।
इन नाटकों को पढ़िए, बच्चों को पढ़ाइए और जब मौका मिले, इनका मंचन भी कीजिए।
बहुमुखी प्रतिभा के धनी डाॅ. कुमार संजय अंग्रेजी के प्राध्यापक हैं। आपकी गिनती स्पोकन इंग्लिश, पर्सनाल्टी डेवलपमेंट, ग्रूप डिस्कशन और इंटरव्यू फेसिंग के श्रेष्ठ शिक्षकों में होती है। आपने इन विधाओं के ऊपर नौ पुस्तकें लिखी हैं जो छात्रों में अत्यन्त लोकप्रिय हैं।
दूसरी तरफ आप नाट्य पठन-पाठन में गहरी दिलचस्पी रखते हैं। हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में नाटक लिखते हैं। अबतक आप 11 पूर्णकालिक नाटक, 18 रंग एकांकी, 3 मोनोलाॅग और 30 बाल नाटक लिख चुके हैं और 20 विश्वप्रसिद्ध कहानियों का मंचीय रूपान्तरण कर चुके हैं। साथ ही 10 अंग्रेजी नाटकों का सृजन भी। 2012 से 2019 के बीच इनकी 15 नाट्य पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।