प्रत्येक मानव में अपने भविष्य को जानने और अनिश्चितता से बचने की इच्छा अत्यंत बलवती होती है। प्राचीन काल से ही प्रत्येक सभ्यता ने जीवन में भविष्य की घटनाओ की गणना हेतु आकाशीय पिंडो और गणित की सहायता से ज्योतिष को विकसित किया। ग्रहो तथा नक्षत्रो की चाल की गणना से होने वाले विभिन्न परिवर्तन जैसे कि मौसम और बारिश की भविष्यवाणी करना। किसी देश पर आक्रमण अधिकार करना इत्यादि।
आज के आधुनिक समाज में भी प्रत्येक व्यक्ति अपने भविष्य को लेकर उतना ही जिज्ञासु है, जितना कि प्राचीन काल में था।आज भी इसके लिए कुंडली और ज्योतिष का मार्गदर्शन लिया जाता है। जातक की कुंडली में शुभ अशुभ की गणना कर विभिन्न अशुभ योगो के शमन के लिए उपायो का परामर्श दिया जाता है। जिसमे हम कई बार ठग भी लिए जाते है।
परन्तु इससे बचने में समस्या यह है, कि हम सभी को ज्योतिष ज्ञान नहीं होता। अतः हमे अन्य पर निर्भर रहना पड़ता है। उपरोक्त समस्या को ख़त्म करने के लिए कोई भी जातक अपने ही ग्रहो की काल गणना, सूर्य राशियों और अंक ज्योतिष का अध्यन कर इस पुस्तक को आकार दिया गया है। जन्म माह तिथि से अपने जीवन में आने वाली सम्भावनाओ को जान सकता है।
पुस्तक का वैज्ञानिक आधार एक विज्ञानं मत है, जिसके अनुसार सम्पूर्ण संसार को पृथ्वी के समान अक्षांश और देशांतर रेखाओ में विभाजित किया गया है। जिसके अनुसार संसार की प्रत्येक घटना स्वयं को दोहराती है और इस दौरान सांख्यकी के नियमो का पालन करती है। अर्थात आकड़े बदलने पर भी मूल नहीं बदलता है।
ज्योतिष को सुलभ सरल रूप में जीवन में उपयोग में लाकर आनंदमयी जीवन बनाना ही पुस्तक का मूल उद्देश्य है। अपने गुण दोषो और आदतों को जाने उनमे भविष्य के अनुसार परिवर्तन लाकर सफलता के शिखर पर आसीन हो।