आज के दौर में हम सब हर पल अंदर ही अन्दर किसी न किसी बात के लिए ,इंसान के लिए ,जरुरत के लिए या ख्वाबों के लिए लड़ रहे होते हैं | भले ही हम शान्ति से बैठे हों लेकिन मन के भीतर कोहराम सा मचा रहता है | मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही था इसलिए मैंने अपनी किताब “जज्बात और हम” में ऐसे ही कुछ अनुभवों ,भावनाओं और इच्छाओं को शब्दों में पिरोने की कोशिश की है| किताब के पहले पन्ने से आखरीपन्ने के सफर के बीच में कोई एक लाइन ऐसी जरुर मिलेगी जो किसी न किसी की जिन्दगी से जुड़ाव रखती होगी | हमारी जिन्दगी में कभी एक सी थीम नहीं रहती हर पल कुछ न कुछ बदलता रहता है |आख़िरकार कई तरह के रंगों का मिला जुला रूप ही तो जिन्दगी है इसलिए ये किताब भी जिन्दगी के एक रंग से नहीं बल्कि कई अलग अलग रंगों से वास्ता रखती है | “जज़्बात और हम” आप सब के जीवन के किसी न किसी हिस्से से रूबरू कराती है |शब्दों की रूह को महसूस करके पढ़े और ढेर सारा प्यार दें |
धन्यवाद !