लाDo Raनी
किताबों की इस दुनिया में ना जाने कैसे मिल गए वो, अनजान से दोस्त बन और कुछ ही वक़्त में बहन बन गए, अब एक साल पूरा हो गया हमे मिले। एक साल में ना जाने कितनी बार बात बंद करदी, ना जाने कितनी बार हम लड़ लिए, मगर हर बार माफी मांगकर बात करने लगे। उनके बारे में क्या कहे, जिन्हें रोज़ दोहरे पड़ते है, मगर हमेशा हमे हर मुश्किल में संभाल लेते है।