‘मैत्रेयी पुष्पा के उपन्यासों में नारी-चेतना’ शोध-ग्रंथ में प्रबुद्ध अध्यापिका डॉ. मंजु सिंह ने मैत्रेयी पुष्पा के उपन्यास साहित्य में स्त्री विमर्श पर गंभीर चर्चा करते हुए एक व्यापक परिदृश्य में नारी चेतना को अभिव्यक्त किया है। मंजु सिंह ने मैत्रेयी द्वारा चित्रित स्त्री-चेतना और संघर्ष का संतुलित विवेचन किया है। उनकी रचनाओं में मुखरित सामाजिक परिवर्तन के स्वर को लेखिका ने रेखांकित किया है। मैत्रेयी पुष्पा की स्वातंत्र्य की अवधारणा स्त्री बनाम पुरुष से ऊपर है उसमें संघर्ष के व्यापक सामाजिक प्रश्न भी समाहित हैं।
डॉ. मंजु सिंह ने अपने शोध-ग्रंथ में रचनाकार के संपूर्ण साहित्य का सूक्ष्म अन्वेषण किया है। उन्होंने अपनी साहित्यिक चेतना को परिमार्जित करते हुए महिला कथाकार को वर्तमान संदर्भों में देखा-परखा है। पुस्तक साहित्य का गहन अध्ययन करते हुए स्त्री विमर्श को एक सार्थक दिशा प्रदान करती है।
मुझे आशा है कि कथाकार मैत्रेयी पुष्पा तथा नारी-विमर्श के अध्येता इस पुस्तक से अवश्य लाभान्वित होंगे।
प्रो. मीनाक्षी श्रीवास्तव
वनस्थली विद्यापीठ, राजस्थान