साहित्य संसार में नित्य प्रति नवसृजन होता रहता है।साहित्य की विभिन्न विधाओं में कविताओं का स्थान महत्वपूर्ण है और सदैव रहेगा। काव्य सृजन रूपी इस यज्ञ में मेरी काव्य समिधाएं नामक काव्य संग्रह एक समिधा मात्र है जिसमें मैंने अपनी 200 कविताओं के पूर्ण होने पर 25 कविताओं को प्रकाशित करवाकर अपनी
आत्माभिव्यक्ति को प्रकट किया है।सर्वप्रथम गुरु वंदना तत्पश्चात आराध्य भगवान शिव को याद करते हुए ॐ और माँ के चरणों में प्रणाम करते हुए माँ कविता लिखी गयी है फिर अन्य कविताएँ लिखी हैं।कोरोना महामारी के दौरान घोषित लॉक डाउन में स्वयं की परिस्थितियों ,परिवेश और भोक्ता के रूप में कोरोना की अनुभूति कर लॉक डाउन ओर पत्नी,मेरा दस फुट का सार,बदलना है घर,कोरोना प्रभाव जैसी कविताओं को लिखा है। मैने सर्वाधिक कविताएँ नारी पर ही लिखी हैं प्रस्तुत काव्य संग्रह में भी रसोई, नारी की भूमिकाएँ, बेटी नारी के समर्पण त्याग और सामाजिक महत्ता को अभिव्यक्त करती हैं तथा सराय ,श्मशान यात्रा कविताएँ जीवन की नश्वरता को व्यक्त करती हुई वास्तविक सत्य राम नाम सत्य को प्रकट करती हैं। सारांशतः इस काव्य संग्रह में पुरातन ,सामाजिक ओर सामयिक विषयों पर काव्य सृजन करने का प्रयास किया गया है।मेरा यह काव्य संग्रह माँ सरस्वती के चरणों में चढ़ाए उस पुष्प की तरह हो जो वातावरण को सुवासित करता हुआ देश की सीमा के पार भी सुधि पाठकों तक खुशबू फैला दे।