Share this book with your friends

(Padmavajra) / पद्मवज्र

Author Name: Prof. Suniti Kumar Pathak | Format: Hardcover | Genre : Educational & Professional | Other Details

पुस्तक “पद्मवज्र” (Padmavajra), जो बौद्ध तन्त्र परम्परा पर आधारित एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ है। यह ग्रन्थ मुख्यतः वज्रयान (तन्त्रयान) परम्परा में पद्मवज्र नामक आचार्य के ग्रन्थों, विशेषतः “तन्त्रार्यावतार-टीका” के अध्ययन और व्याख्या पर केंद्रित है।)

दार्शनिक महत्त्व

1.         यह ग्रन्थ बौद्ध तन्त्र के ज्ञानमार्ग और उपायमार्ग दोनों को संतुलित दृष्टि से प्रस्तुत करता है।

इसमें शून्यता और करुणा, ज्ञान और उपाय, तथा समता और विवेक के द्वन्द्वों को अद्वय रूप में व्याख्यायित किया गया है।
अपभ्रंश बौद्ध वाङ्मय की चर्चा से यह भी स्पष्ट होता है कि बौद्ध तन्त्र-साधना केवल संस्कृत ग्रन्थों तक सीमित नहीं रही, बल्कि लोकभाषाओं में भी उसका व्यापक प्रसार हुआ।
प्रो. सुनीति कुमार पाठक की यह कृति भारतीय बौद्ध तन्त्र-साहित्य के दार्शनिक, भाषिक और साधनात्मक पक्षों को जोड़ती है। उन्होंने तिब्बती, संस्कृत और अपभ्रंश स्रोतों के तुलनात्मक अध्ययन के माध्यम से यह दिखाया है कि पद्मवज्र की परम्परा बौद्ध तन्त्र-चिन्तन में ज्ञान (Prajñā) और करुणा (Karuṇā) के अद्वय समन्वय का एक उच्च उदाहरण है।

Read More...

Ratings & Reviews

0 out of 5 ( ratings) | Write a review
Write your review for this book
Sorry we are currently not available in your region.

Also Available On

प्रो० सुनीति कुमार पाठक

प्रोफेसर सुनीति कुमार पाठक

(पूर्वाध्यक्ष एवं प्राध्यापक, इन्डो-तिब्बती अध्ययन विभाग, विश्वभारती, शान्तिनिकेतन)

प्रो. सुनीति कुमार पाठक इन्डो-तिब्बती एवं बौद्ध अध्ययन के एक विशिष्ट विद्वान थे। कलकत्ता विश्वविद्यालय और विश्वभारती से शिक्षित होकर उन्होंने अपना संपूर्ण शैक्षणिक जीवन बौद्ध दर्शन, तन्त्र तथा भारत-तिब्बत सांस्कृतिक सम्पर्क के अध्ययन को समर्पित किया। विश्वभारती विश्वविद्यालय, शान्तिनिकेतन में इन्दो-तिब्बती अध्ययन विभाग के अध्यक्ष एवं प्राध्यापक के रूप में उन्होंने अनेक विद्यार्थियों का मार्गदर्शन किया और भारत में बौद्ध ग्रंथों के पुनरुद्धार तथा उनके समालोचनात्मक अध्ययन में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।

उनकी प्रमुख कृतियाँ - पद्मवज्र: एक अध्ययन, वज्रयान: उत्पत्ति और विकास तथा अंग्रेज़ी, हिन्दी और बांग्ला में प्रकाशित अनेक शोध-लेख -उनकी गहन विद्वत्ता और भारत की बौद्ध सांस्कृतिक परम्परा के प्रति उनके समर्पण को प्रकट करते हैं। प्रो. पाठक का शैक्षणिक अनुशासन और मानवीय दृष्टिकोण आज भी बौद्ध और तिब्बती अध्ययन के विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं के लिए प्रेरणास्रोत है।

Read More...

Achievements

+2 more
View All