जब-जब भी इंसानों और तिलिस्मी ताक़तों के बीच कोई संघर्ष होता है, तो इंसानियत की जीत अपरिहार्य हो जाती है। लेकिन क्या हर बार इंसानियत की जीत हो पाती है? क्या हो अगर इंसानों को भूतों से लड़ते हुए अपनी-अपनी हवस और चाहतों से भी लड़ना पड़े? और फिर भूत भी ऐसा हो कि पता ही न चले कि वो है भी या नहीं, तब?
जिमी, नैना, किरी और सैम; चार भूत-शिकारी भटोली गाँव की यात्रा करते हैं, जहाँ उनका मिशन है - एक प्रेतबाधित हवेली को भूत से मुक्त करना। बिना किसी सटीक योजना के वे इस पहेली को सुलझाना शुरू करते हैं और उनकी ज़िंदगियाँ अकल्पनीय परिस्थितियों में उलझने लगती है। अपने डर और ख़्वाहिशों के कारण एक दूसरे में उलझे हुए ये इंसान भूत को कैसे हर पाएँगे? क्या प्यार और हवस, डर और हिम्मत, धोखा और भरोसा एक साथ चल सकते हैं?
इंसानों और भूत के बीच के इस ख़तरनाक खेल में कौन जीतेगा? क्या सुलझेगी ये पहेली? या उलझती चली जाएँगी तमाम ख़्वाहिशें और ज़िंदगियाँ इस पहेली में...