"पेंडी" मेरी चौथी साहित्यिक पुस्तक है और पोवारी बोली में कविता का दूसरा संग्रह है। पोवारी बोली में कविताओं का यह संग्रह विशेष रूप से नाविन्यपूर्ण है। जिसके बारे में बोलते हुए, मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है। पोवारी बोली महाराष्ट्र के गोंदिया और भंडारा जिलों में अधिकांश पोवार लोगों द्वारा बोली जाती है। यह नागपुर जिले में भी कम प्रमाण मे बोली जाती है। साथ ही मध्य प्रदेश राज्य में, पोवार के अधिकांश लोग बालाघाट और सिवनी जिलों में बोलते हैं। लगभग 14 से 15 लाख लोग बोलते हैं। मेरे 'पेंडी' पोवारी बोली संग्रह में हर पोवारी ग़ज़ल, कविता और गीत मानव मन को मोहक है। पोवारी बोली रसदार होने के कारण शब्द भी रसीले लगते हैं। इस संकलन में कुछ कविताओं को छोड़कर, सभी की रचना अलग-अलग विधाओं में हुई है। इन सभी प्रकार की कविताएँ अत्यंत सुंदर हैं। इस कविता संग्रह को आप कितनी भी देर तक पढ़ लें, इसे बार-बार पढ़ने का मोह नहीं छोड़गे। पोवारी बोली में मेरी कविताओं का यह संग्रह पाठकों में मेरे पहले कविता संग्रह "मन को घाव" की तरह घर बना लेगा। मैं गवाही देता हूँ कि यह पाठकों को दुगनी खुशी देगा...... वास्तव में...... यह काव्य का सुन्दर संग्रह है। हमें उम्मीद है कि आपको पढ़ने में जरूर मज़ा आयेगा।