प्रस्तुत पुस्तक राही,दो व्यक्तियों के यथार्थ जीवन का सजीव चित्रण है।इस पुस्तक में वर्तमान जीवन की प्रेम विधा की प्रत्येक भावना का बड़ी ही रोचक तरीके से प्रस्तुतिकरण किया गया है।जितना यह पुस्तक भावनाओ की मार्मिकता संयोए हुए है,उतना ही समाज का प्रेम के प्रति द्रष्टिकोण भी उजागर करती है।उक्त पुस्तक में अनेक रासो का समावेश किया गया है,कही कही पर सयोंग है,तो कही पर वियोग रास के दर्शन होते है।कुछ पंक्तिया हास्य रस बिखेरती प्रस्तुत की गई है।जितना यह पुस्तक वर्तमान समय के प्रमियों को समर्पित है ,उतना ही गुजरे वक्त की प्रेम कहानि की हृदयस्पर्शी भावनाओ को उजागर करती है।
संक्षेप में यह पुस्तक गुजरे वक्त से आज तक कि प्रत्येक हृदयस्पर्शी प्रेमकहानी का निचोड़ है।
लहरों से डर कर नोका पार नही होती,
कोशिस करने वालो की कभी हार नही होती।"
अक्सर मेरे गुरुजी विनय जी गुप्ता ये दो पंक्ति मेरे उत्साह हो बढ़ाने के लिए कहा करते थे।ऒर उन्ही की असीम प्रेरणा के कारण ही मेरे अंदर का एक छोटा सा हूनर आज लेखक बन कर उभर आया।
मैं ग्राम झोंकर, जिला शाजापुर (मध्यप्रदेश) की निवासी हूँ,वर्तमान में शासकीय महाविद्यालय से बीएससी तृतीय वर्ष में अध्ययनरत हूँ, विद्यार्थी जीवन से ही मुझे लेखन में काफ़ी रुचि थी।
परन्तु अपनी रचनाओं को एक सही मंच देने का मेरा सफर जितना कठिन था उतना ही रोचक भी निकला।
प्रारंभ के कुछ दिनों में सोसल नेटवर्किंग के माध्यम से मैने अपनी कला को लोगो के सामने प्रस्तुत किया,तदुपरांत समाचार पत्रो,ऑनलाइल वेबसाइड जैसे अमर उजाला, पचंदूत आदि में भी अपनी कविताएं प्रकाशित करवाई।
मेरे इस सफर में मेरी सबसे बड़ी ताकत बन कर, मेरा साथ मेरे भाई आनंद मालवीय औऱ आकाश लुवानिया ने निभाया।
कहते है "एक भाई अपनी बहन की सबसे बड़ी ताकत होता है" ,ओर ये पंक्ति मेरे साथ यथार्थ सिद्ध हुई।
इनके साथ ही मेरे बचपन की दो सखिया पूजा औऱ मुस्कान ने भी समय समय पर मेरे हौसले को पंख दिए।
ओर मेरे परम मित्र धर्मेद्र (साबू),करिश्मा ने सदैव मुझे आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।
में इन सभी लोगो का दिल से शुक्रियादा करती हूं,जिनने मेरे लेखक जीवन मे इतनी अहम भूमिका निभाई।
ऒर साथ ही ह्रदय तल से शुक्रिया हमारे संपादक महोदय श्रीमान करन जी सोनी का ,इनके सहयोग के कारण ही यह पुस्तक इतनी सहजता से प्रकाशित हो पाई है।