इतिहास के पन्नों पर अंकित है, जब-तब किसी महान् देशभक्त ने हिन्दुस्तान को विदेशियों के चुंगल से छुड़ाने का बीड़ा उठाया; तब-तब देश-भक्ति की राह में रोड़े बिछाने के लिए देशद्रोहियों की भी कमी नहीं रही।
झांसी की रानी लक्ष्मी बाई जैसी वीर, साहसी, बुद्धिमान, राजनीतिज्ञ व उदार स्त्री को भी कोई परास्त न कर पाता, यदि पीर अली, दुल्हाजु और नवाब अली ‘बहादुर’ जैसे आस्तीन के साँपों को उन्होंने दूध न पिलाया होता। किन्तु फिर भी अपनी राह से अवरोधों को दूर करते हुए, उस वीरांगना ने अंग्रेजों को छठी का दूध याद दिला दिया था, और स्वाधीनता संग्राम के हवन-कुण्ड में अपना जीवन आहूत कर डाला था।