ये दास्तान हमारी पहली जंग-ए-आज़ादी की सच्ची घटनाओं की नींव पर कल्पनाओं की ईंट से रची गयी है। ये एक कोशिश है उस वक़्त के कुछ कम मशहूर क्रांतिकारियों की क़ुर्बानियों को आपके सामने पेश करने की, जिन्हें आज के इतिहासकारों ने किन्हीं वजहों से कम तरजीह दी। ये उस वक़्त के आमजनों के एहसासों, कोशिशों और बलिदान को कल्पना के पाँव देकर आप तक पहुँचाने की कोशिश है। ये दास्तान हमारी समृद्ध संस्कृति और दौलतमंद तारीख़ की गवाह है। ये दास्तान हमारे मुल्क में बहने वाली ज्ञान की हर धारा का संगम है। ये दास्तान न कि सिर्फ़ पुरुष और महिला नेताओं के कारनामे आपके सामने रखती है बल्कि पर्दे के पीछे अपना सब कुछ गँवा देने वाली औरतों की कहानी भी पेश करती है। ये भारत माँ के बेटों के बीच पनप आयी खाई को कुछ कम करने की कोशिश है, जिसकी आज हमारे वतन को सख़्त ज़रुरत है।
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