क्या आपको यह नहीं लगता है कि प्रत्येक व्यक्ति की जिंदगी एक बेमिशाल और पठनीय कहानी है और हर कहानी में किरदारों की अद्वितीय जिंदगी और भूमिका है ? जब जब आप कहानी के किरदार की तस्वीर को कल्पना के पटल से उभरकर स्पष्ट होते हुए देखते है ; तो प्रतीत होता है की यह तो कल ही की आस-पड़ोस की घटना का नायक है ..
आज ऐसे ही किरदार "राजेश कुमार गिरि " (स्वयं लेखक ) की दर्दनाक , पीड़ादायक संघर्ष और रहस्यों से भरी हुई रोमांचक परन्तु सत्या पर आधारित कहानी आपको प्रस्तुत कर रहा हूँ !
इस कहानी में प्रेरणा भी है , तो दर्द भी ! पीड़ा अगर है तो , प्रेम भी ! धोखा गर मिला , तो सहारा भी साथ-साथ चला आया बेख़ौफ़ होकर ! कही निराशा हाथ लगी तो कही सफलता भी चरण चूमने में पीछे ना रही ! कुछ अपनों और अपनी प्रिय चीजों को खोया तो बहुत कुछ पाया भी ! यही तो जिंदगी की वास्तविकता है !
जिंदगी के उन दिनों की बात करेंगे जो आज भी कई लोगों के लिए एक रहस्य बना हुआ है ! कैसे खाली जेब , सिर्फ एक जोड़ी कपडे में बिहार के एक छोटे से गाँव से भारत की राजधानी नई दिल्ली पहुँच गया और लिख डाली शुन्य से सफलता की अद्भुत और बेमिशाल कहानी !
22 सालों से सपने को पूरा करते-करते ;किस तरह एक साधारण शिक्षक धीरे-धीरे असाधारण व्यक्तित्व का मालिक बन गया ! और किस तरह मिल गयी राजेश के किस्मत की रेखा !