आसूं खुशी के भी होते हैं दुख के भी होते है खुशी के आसूं आंखों से बरबस छलक जाते है जिससे इंसान खुश होता है हल्कापन आ जाता है इंसान का तन मन खुश और प्रफुल्लित हो जाता है और गम के दुख के आसूं इंसान को तोड़ देते है उसके तन मन को हिला देता है वह बहुत ही निराश और दुखी हो जाता है। आसूं के इन्ही दोनों रूपों को सजीव करता ये मेरा नवीनतम काव्य संग्रह है।