समय के इस अनंत क्षेत्र में जन्म लेने वाले जीवों का परम लक्ष्य क्या है? क्या हम कभी उस परम लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं? क्या कभी कोई इस परम लक्ष्य को प्राप्त कर सका है? क्या कोई साधारण भौतिक जीव कभी इसका प्रमाण प्राप्त कर सकता है? जब कोई भाग्यशाली जीव इस परम लक्ष्य को प्राप्त करने के पथ पर अग्रसर होता है, तो वह अपने पूर्व जन्मो के किसी पाप कर्म के फलस्वरूप आने वाली अनर्थकारी घटनाक्रमों से कैसे बच सकता है। क्या उन विनाशकारी घटनाओं को टालने के लिए उसे कोई दिव्य सहयोग मिलता है? इसी दिव्य प्रेरणा को कथानक के रूप में स्वीकार करते हुए इसे पुस्तक का रूप दिया गया है।
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