डार्विन का उद्विकास सिद्धांत, विज्ञानं का धर्म के क्षेत्र में एक मुख्य विस्तार है। इस सिद्धांत को समझने से लोग अन्धविश्वास से बचेंगे और एक वैज्ञानिक विश्व-दृष्टि विकसित होगी। उद्विकास के मूलभूत सिद्धांत को बिना किसी खास तकनीकी विषय के ज्ञान के भी समझा जा सकता है और इस पुस्तक में इसे बहुत ही सरल भाषा में लिखा गया है। उद्विकास के सिद्धांत के आधार पर इस पुस्तक में स्वास्थ्य और मन की शांति के विषय पर एक गहरी समझ विकसित की गयी है। यह सिद्धांत मूलतः इस दार्शनिक प्रश्न का उत्तर है कि पृथ्वी पर जीव प्रजातियाँ कैसे उत्पन्न हुई, लेकिन आज इस सिद्धांत से नैतिकता और संस्कृतियों की उत्पत्ति को भी समझा जा सकता है। आने वाले समय में लोगों के लिए अपनी अनुवांशिक सूचना (Personal Genome) प्राप्त करना भी बहुत आसान हो जायेगा इसलिए उद्विकास, जन-अनुवांशिकी और अनुवांशिक विविधता को उपयुक्त परिपेक्ष्य में समझने की आवश्यकता होगी।