"वर्तमान वास्तविकता क्या है", यह पुस्तक "विज्ञान की सीमाओं" की एक व्याख्या है जो अविश्वसनीय रूप से गहन है परंतु साथ ही बहुत स्पष्ट भी है|
भारत की प्राचीन सांस्कृतिक तत्वमीमांसा पर आधारित यह विलक्षण पुस्तक, वर्तमान वास्तविकता के बारे में हमारी जानकारी तथा जिन बातों को हम सत्य मानते हैं, उसे चुनौती देता है, चाहे वह देवत्व के बारे में हो, या आध्यात्मिकता के बारे में, या वस्तुओं या विषयों के ब्रह्मांड के बारे में, या एक व्यक्ति के रूप में स्वयं हमारे बारे में। इस पुस्तक की एक अनूठी विशेषता है वर्तमान वास्तविकताओं के साथ-साथ उन्हें संशोधित करने का काम कर रहे विभिन्न प्रतिमानों और सिद्धांतों दोनों की सटीक गणना। यह बारह पुस्तकों की एक श्रृंखला का एक हिस्सा है जो आधुनिक विज्ञान के विशेषज्ञों से परे, हमारी वर्तमान वास्तविकता को समझने की क्षमता को जन सामान्य के समक्ष प्रस्तुत करती है, और इस समझ का उपयोग व्यक्तिगत और सामाजिक कल्याण के लिए करती है। बीटा समीक्षकों की टिप्पणी है कि "यह एक अविश्वसनीय कार्य है जो जीवन को देखने और जीने के तरीके को बदल देगा" और "हम आशावान हैं कि इसे एक बड़ी सफलता मिलेगी!"