परिवार हमारी जिंदगी का एक अहम हिस्सा होता है या ये कहना ज्यादा ठीक होगा कि हम इसका एक हिस्सा होते हैं। परिवार की अहमियत किसी भी अन्य संस्था से कम नहीं आंकी जा सकती है। एक गृहिणी के लिए परिवार को संभालना किसी जद्दोजहद से कम नहीं होता जिसमें कभी वह खुशी के सागर में गोते लगाती है तो कभी किनारे की चट्टानों से टकराकर लहूलुहान हो जाती है, फिर भी वह तैरकर वापिस आती है क्योंकि यह उसका परिवार है और इसे वही संभाल सकती है। कभी-कभी साधारण स्त्री के सामने भी ऐसी दुविधा आ जाती है कि वह समझ नहीं पाती की आखिर क्या विकल्प चुना जाये?
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