इस जीवन में ज़िंदगी जीने के अलावा भी बहुत कुछ है। यों ही जीवन जीने के अलावा भी इसमें बहुत कुछ होना चाहिए। जीवन का कोई ऊँचा हेतु होना चाहिए। जीवन का हेतु इस प्रश्न के सही जवाब तक पहुँचना है कि ' मैं कौन हूँ? ' यह प्रश्न कितने ही जन्मों से निरुत्तर है। ' मैं कौन हूँ ? ' की इस खोज में बाकी बची कड़ियाँ ज्ञानीपुरुष के शब्दों में मिलती हैं।