ज़िंदगी के रंग
ज़िंदगी, क्या है वास्तव में ज़िंदगी? क्या ये उगता सूरज है, या है ढलती शाम कोई। हर किसी के नज़रिए से अपना एक भिन्न ही प्रारूप लिए, ज़िंदगी निरंतर गतिमान है। इंद्रधनुष के सात रंग, अवगत होते हैं हम उनसे भली भाँति, किन्तु ज़िंदगी तो वास्तव में बहुरंगी है ना। खुशियाँ, गम, मुस्कुराहट, आँसू, दर्द, पीड़ा, सवेदनशीलता, उदारता, कुटिलता आदि अनादि अनेक गुणों अवगुणों से परिपूर्ण। प्रत्येक व्यक्ति के लिए ज़िंदगी की परिभाषा अलग ही है, सभी का अपना दृष्टिकोण, अपना मत, अपना नजरिया। ज़िंदगी कब किसे कौन सा रंग दिखाये ये कोई नहीं जानता, लेकिन अपने विवेक और समझदारी की कुशलता से जीवन का उचित प्रकार निर्वाह करना जिसे आ जाता है, वास्तव में उसका जीवन सार्थक हो जाता है। तो ऐसी ही कुछ भावनाओं की अभिव्यक्ति कविताओं के रूप में हमारे कुछ चुनिंदा कवियों द्वारा पिरोईं गयी हैं, "ज़िंदगी के रंग" में। आशा है, कि सरल भाषा में वर्णित की हुई प्रत्येक कविता पाठकों के हृदयतल को स्पर्श करके उनके मन में एक छाप छोड़ने में सक्षम रहेगी, और इस पुस्तक के संकलन का ध्येय सफल रहेगा।।
धन्यवाद