Share this book with your friends

Hindu Dev Sanskriti / हिन्दू देव संस्कृति (सोलन के अपरिचित देव स्थलों का पुरातात्विक और सांस्कृतिक अध्ययन) Solan ke Aparichit Dev sthalon ka Puratattvik aur Sanskritik Adhayayan

Author Name: Dr. Seema Parihar | Format: Paperback | Genre : Educational & Professional | Other Details

पुस्तक के बारे में

हिमाचल प्रदेश भारत के भौगोलिक मानचित्र पर जहां एक ओर अपने अनुपम सौदर्य के कारण जाना जाता है, सांस्कृतिक मानचित्र पर जहां अलग और उच्च्तम सांस्कृतिक परंपराओं का समवाहक रहा ह,ै वहीं पर ये क्षेत्र  धार्मिक मानचित्र पर  अपने विभिन्न प्रकार के धार्मिक विश्वास के कारण जाना जाता है। एक ओर जहां देवी-देवता लोगों के मित्र और रिश्तेदारों की भांति ही लोक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, वहीं पर जीवन के हर अच्छे कृत्य में ये देवी -देवता ढाल बनकर लोगों के खडे माने जाते हैं। यही नहीं कई बार इनके प्रति उदासीनता और उपेक्षा की भावना से मनुष्य सजा का भी पात्र बन गया माना जाता है। यही भावना एक नहीं हर क्षेत्र में विद्यमान है। फिर चाहे वह लाहौल स्पीति, चंबा और किन्नौर के दुर्गम क्षेत्र हों या फिर कांगडा, मंडी, बिलासपुर और सोलन या शिमला, सिरमौर की घाटियां या मैदानी भाग हों। यह पुस्तक हिमाचल, विशेषकर जिला सोलन के ऐसे ही परंपराओं और पूजा पद्वतियों पर प्रकाश डालती है, जो अति प्राचीन काल से लेकर यहां के लोगों के मनोभावों के केंद्र बिन्दू रहे हैं। यही नहीं यह विश्वास और परंपराएं भले ही बहुत ज्यादा प्रकाश में नहीं आ सकीं लेकिन फिर भी लोगों की इन परंपराओं में गहन आस्था है। प्रस्तुत पुस्तक में लेखिका ने सिर्फ समाज में परंपरागत तथ्यों को ही उजागर किया है एवं किसी भी रूप में लंेखिका इन्हें मानने या न मानने के लिये प्रोत्साहित नहीं करती है। हां इतना अवश्य है कि इनमें से बहुत सी परंपरायें महज लोक वेद पर ही आधारित हैं। यदि लोग अपने शास्त्रों को आधार बनाकर इन्हें जारी रखें तो ये बहुत ही सकारात्मक परिणाम दे सकती हैं। 

Read More...
Paperback
Paperback 650

Inclusive of all taxes

Delivery

Item is available at

Enter pincode for exact delivery dates

डाॅ0 सीमा परिहार

डॉ. सीमा परिहार सी0 टी0 विश्वविद्यालय, लुधियाना, पंजाब में मानविकी और शारीरिक शिक्षा विभाग में इतिहास की सह आचार्य के पर कार्यरत हैं। वह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, शिमला सर्कल-शिमला की पूर्व अनुसंधान सहायक हैं। एन0एम0एम0ए0 (प्राचीन वस्तुओं के स्मारकों पर राष्ट्रीय मिशन) और गांव-से-गांव सर्वेक्षण परियोजनाओं में अपने शोध कार्य के दौरान, उन्होंने ऐसे सैकड़ों गांवों का सर्वेक्षण किया है, जिनमें पुरातनता है। परियोजनाओं में अपने शोध कार्य के दौरान गांवों में स्थानीय लोगों के रीति-रिवाजों और सामाजिक-सांस्कृतिक जीवन के बारे में जानने का यह एक शानदार अवसर था। कार्य के दौरान यह पाया गया कि लोग सरल तरीकों से उसी का पालन करते हुए अपनी हजार साल पुरानी सांस्कृतिक परंपराओं को संरक्षित करने के इच्छुक हैं। एन0जी0ओ0 शारा (सोशल अवेयरनेस एंड रूरल एक्शन) के साथ एक रिसर्च फैलो के रूप में काम करते हुए, उन्होंने एक प्रोजेक्ट सर्वे एंड डॉक्यूमेंटेशन ऑफ आर्ट एंड क्राफ्ट इन वैस्टर्न हिमालयाज’ पर काम किया था। इसके अलावा, उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो, एवं एफ0 एम0 शिमला पर उद्घोषक एवं एंकर के रूप में भी काम किया है । इस दौरान भी बहुत से लाईव कार्यक्रमों के दौरान समाज के साथ संवाद करना और उनकी सांस्कृतिक गतिविधियों और उनकी क्षमता के बारे में जानना एक अद्भुत अनुभव है। इसके अलावा, उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय शोध पत्रों एवं पत्रिकाओं में 60 से अधिक शोध पत्र और शोध लेख प्रकाशित किए हैं। वह विभिन्न समाचार पत्रों की एक स्वतंत्र लेखिका भी हैं, और सामाजिक और सांस्कृतिक मुद्दों पर लिखती रहती हैं।

Read More...

Achievements