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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palअखिल भाई का परिवार कई कारण से मेरा परिवार बन गया है | श्री पूर्णम के प्रति उभरते लाड प्यार के कारण, हंसा बेन के प्रति असली सतीत्व के उभरते पूज्यभाव के कारण, श्री गोपा के संगीत ने हृदय में स्थान बनाया इस कारण, श्री विनय भाई के प्रौद्योगिकी मंच केअंकों के अभिभाव के कारण, श्री विभा की सरलता के कारण , श्री सोहम भाई के साथ के सह अध्ययन एवं सह्कार्य के कारण हरेक का सही माधुर्य सही प्रमाण में हमारे परिचय में आया और अच्छे परिमाण में आया ऐसा यह अद्भुत कुटुम्ब !
खादी की निष्ठा, ब्रह्मचर्य की आकांक्षा, समाज रचना में रस ; अखिल भाई का स्वयं का रस रंग अतिशय ऊँचा रहा | वे भजन रचना करते थे इतना ही नहीं; वे विनोबाजी के उपदेशों को शीघ्र ही वाणी और संगीत में बुन लेते थे | कविता, जो कंठ में बैठकर जीवनभर प्रेरणा और शिक्षण देती रहे, एक बड़ी समाज सेवा है | भूदान के गहन विचारों के गीतों के रचनाकारों में श्री अखिल भाई का नाम दर्ज रहेगा |
श्री अखिल पंड्या
पूज्य अखिल भाई हमारे निवेदिता निलयम में दस वर्ष रहे | उस अवधि में निलयम के युवाओं के लिए वो त्रिविध ऋषि थे |
१ . ऋग्वेद में अगस्त्य ऋषि का वर्णन है कि उन्होंने धरित्री का उत्खनन कृषि कार्य के लिए किया | और "प्रजाम आपत्यम बलम इच्छामानः |", अर्थात नई पीढ़ी को अपने बल से बलिष्ठ करने के लिए ज्ञान यज्ञ भी किया | सर्जन और शिक्षण ऐसे दोनों कार्यों को न्याय दिया |
२. मनुष्य अत्यंत खिलखिलाहटवाली खुशियों में तब रह सकता है जब उसे अपने से संतोष हो | संयम की जो साधना मनुष्य जीवनभर करता है उसमें इस वैराग्य धारण के बाद बचा सूक्ष्म बुद्धि पर नियंत्रण पाने के बाद परमात्मा के दर्शन से समस्त आकर्षण हट जाता है | एक सज्जन का मन कितना निर्मल, बालवत निरीह हो सकता है वैसा उनका मन था ; जिसे कोई दुःखी नहीं कर सकता था | अत्यंत अथक एवं निर्भय उनकी दिनचर्या अतिशय प्रेरक थी | "मन के ऊपर उठना होगा ", ऐसा उन्होंने केवल लिखा नहीं , उठकर दिखाया |
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