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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palजीवन यादों और अनुभवों का ऐसा खजाना है जिसे कोई व्यक्ति चाहे तो अपने तक सहेज कर रख ले और चाहे तो बाँट भी सकता है। इस कथा संग्रह में कहानीकार ने बचपन के रंग-बिरंगे पहलुओं को कल्पना की उड़ान, शरारतों की खट्टी-मीठी चटनी और भावनाओं की चाशनी में डुबोकर प्रस्तुत किया है। इसका जायका पाठकों को अनायास ही उनके बचपन की गलियों में खींच ले जायेगा।
"यादों की संदूकची" कथा-संग्रह में जहाँ एक ओर खेल-खेल में बड़े-बड़े कांड रचता मासूम बचपन दिखाई देता है तो वहीं दूसरी ओर मासूमियत का स्वांग रचता भद्र और सभ्य समाज भी नजर आता है।
कहानीकार संगीता ढानीवाला, एक स्थापित कवयित्री व नृत्य प्रशिक्षिका होने के साथ अपने बचपन से ही किस्सा-गो रही हैं। इनकी कहानियां मनोरंजक और बार-बार पढने योग्य होने के अलावा परिवार और समाज के लिए अनूठे संदेश भी देती हैं। हर कहानी पाठक को गुदगुदाने के साथ ही उसके मानस पटल पर अविस्मरणीय छाप छोड़ जाती है।
संगीता नरेश ढानीवाला
मेघालय राज्य की राजधानी शिलांग में पली-बढी, इकॉनॉमिक्स ग्रेजुएट संगीता नरेश ढानीवाला ने विवाहोपरांत काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी व स्वाराती मराठवाड़ा विश्वविद्यालय, नांदेड़, महाराष्ट्र से थियेटर एवं फिल्म निर्माण में पद्व्यूत्तर शिक्षण पूर्ण किया। नृत्य, संगीत और साहित्य में इनकी रुचि और पैठ बचपन से ही रही है। नांदेड़ में प्रख्यात नृत्य प्रशिक्षिका, लेखिका व कवयित्री के रूप में स्थापित इनके समसामयिक विषयों पर लेख "मराठवाड़ा नेता" समाचार पत्र में नियमित रूप से प्रकाशित होते रहते हैं। इनकी कविताओं का संग्रह "त्रिधारा" एबीएस पब्लिकेशन, वाराणसी द्वारा प्रकाशित हो चुका है।
एक कुशल गृहिणी, समुपदेशक, कवयित्री व कहानीकार ने अपने इस कथा-संग्रह में मानव स्वभाव के सभी पहलुओं को अपनी सरल व साहित्यिक भाषा में लिपिबद्ध किया है। इन कहानियों के माध्यम से हर पाठक अपने अतीत के झरोखों और बचपन की गलियों में आसानी से झांक सकता है।
"यादों की संदूकची" सरल, सहज, हृदयस्पर्शी और पढ़ने योग्य कहानियों का ऐसा संग्रह है जिसे पाठक बार-बार पढकर एक अपरिमित आनंद का अनुभव कर सकता है।
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