हम ख़ुदसे ना जाने कितने ही किस्से बयां कर देते हैं जब कोई और हमारी सुनने वाला नहीं होता है। "आपसी बातचीत और किस्से” ये किताब जिस में लिखी गयी छोटी-छोटी कहानियाँ और कुछ तजुर्बे के किस्से उसी को दर्शाते हैं। "फ़ुर्सत ढूँढ़नी होगी हमको कुछ इस कदर के बाहर निकले तो, सुकून हमारे भीतर ही मौजूद होगा।"