प्राचीन काल में भारत के लोग व्यापार करने की लिए विश्व भर का भ्रमण का करते थे। वे जहाँ भी गए वहां अपनी सभ्यता और संस्कृति की अमित छाप छोड़ी। भारत के लोग अपने साथ रामायण भी ले गए। रामायण ने उन देशों पर भी अपनी अमिट छाप छोड़ी। आज इतने सालों बाद भी रामायण का प्रभाव विदेशो में देखने को मिलता है जो उनके शिलालेखों, भित्ति चित्रों , शिल्प और भाषा में झलकता है। इनके बारे में जानना रोचक ही नहीं ज्ञानबर्धक भी है। इस पुस्तक में लेखक ने उन्हीं साक्ष्यो को एकत्रित करने का एक प्रयास किया है जो की हर जिज्ञासु व्यक्ति के लिएब पठनीय है।
क्या आप जानते हैं कि इंडोनेशिया के रूपये पर श्री गणेश जो एक भारतीय देवता हैं का चित्र है? कि कि प्रारंभिक थाईलैंड की राजधानी को अयुत्या(अयोध्या)कहा जाता था? कि थाईलैंड के राष्ट्रीय प्रतीक को “फ्रा ख्रुत फा “कहा जाता है जो की "गरुड़ है ? थाईलैंड में सभी राजाओं को अभिषेक के समय राम की उपाधि दी की जाती है। मिस्र के राजा रामेसिस"राम-भगवान" के नाम से जाने जाते थे । यूरोप के सबसे प्राचीन शहरों में से एक इटली की राजधानी रोम है। 'रोम' राम के अपभ्रंश नाम के अलावा और कुछ नहीं है। रूस प्राचीन रूसियों (ऋषियों) की भूमि थी । लाओस के लुआ प्रवा तथा वियतनाम के राजप्रसाद में थाई रामायण 'रामकियेन' और लाओ रामायण फ्रलक-फ्रलाम की कथाएँ अंकित हैं। चीनी में रामायण से संबद्ध दो रचनाएँ मिलती हैं। 'अनामकं जातकम्' और 'दशरथ कथानम्'। ऐसी ही कुछ और रोचक और महत्वपूर्ण जानकारियां आपको इस पुस्तक में मिलेंगी। आप सभी जिज्ञासु पाठकगण के लिए एक जरुरी पुस्तक।