इस किताब का नाम है "सुपर किलर"। इन कहानियों में एक ऐसे व्यक्ति के बारे में बताया गया है जो शुरू से ही जिंदगी में अपने सपनो को पूरा करने के लिए अनेक तरह के परेशानियों का सामना करता है। फिर भी उन सभी परेशानियों से निपट कर आगे बढ़ता चला जाता है। इस कंपनी का मुअपने आप में एक अधूरा पाता है जिसको पूर्ण करने के लिए अनेक प्रकार का कर्म करता है फिर भी उस कमी को पूर्ण नहीं कर पाता है । अपने दोस्तों की मदद से शक्ति कंपनी बनाने की और कदम उठाता है और लगभग तीन साल के बाद वो अपना कंपनी खोल पाता है लेकिन कई संघर्षो के बाद ही। कार्यकारी अधिकारी बन कंपनी को संचालित कर कई कदम उठाता है जिससे कंपनी शुरू में भले ही कुछ ख़ास नहीं कर पाती है लेकिन कुछ ही सालों के बाद उस कंपनी को एक उच्चाई तक पहुँचा पाता है। वो हर एक कठनाई को पार कर आगे बढ़ता ही रहता है। लेकिन एक शाम ऐसा कुछ होता है जिससे वे ऐसा काम करने का फैसला करता है जिसके बारे में सोचना भी भयानक है। उस शाम उसकी मुलाकात एक बूढी औरत से होता है जिससे बात करने के बाद उसको अंदर ही अंदर परेशान कर देता है। उस परेशानी को झेल नहीं पाता है और लगभग एक महीना बाद वो आत्महत्या कर लेता है। ये सुनकर सभी दुखी हो जाते है और बाद में उस व्यक्ति के सम्मान में उसका मूर्ति कंपनी में स्थापित किया जाता है। लेकिन वो सिर्फ मरने का एक खेल करता है जिसका पता किसी को नहीं चलता है। वो अब आगे सिर्फ जीतना चाहता है और इसके लिए हर एक नई तरकीब निकालकर लोगों को सज़ा देना चाहता है। अंत में बस इतना कहता है कि वो सिर्फ अपने उन सवालों को ढूढ़ने के लिए ही यह सब करता है लेकिन कैसे। इस सवाल का जवाब पाने के लिए आपको पढ़ना होगा इसी किताब का एक और भाग यानि " सुपर किलर (भाग-2) "
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