“विदित्वा" मानवता के जन्म से संविधान निर्माण तक अरबों वर्षों से अधिक की यात्रा पर निकलने के लिए प्रेरित करती है, जो विश्व और भारत की ऐतिहासिक और पौराणिक कहानियों को उजागर करती है। यह सिर्फ एक अन्य इतिहास की किताब नहीं है बल्कि यह एक ऐसी गाथा है जो इतिहास की परतों को हटाकर उल्लेखनीय महिला किरदारों की कहानियों को उजागर करती है, जिन्होंने इस दुनिया को आकार दिया जिसे हम जानते हैं। भारतीय संस्कृति के गर्त में एक प्राचीन पहेली है जिसने समय को ही चुनौती दे दी है। आक्रमणों, औपनिवेशिक क्रूरताओं और सामाजिक-अर्थशास्त्र की बदलती रेत के बावजूद किसने इसे जीवित रखा? भारत की विरासत कैसे कायम, अटल और विशिष्ट रही है?
प्रत्येक अध्याय असाधारण लोगों के जीवन को उजागर करते हुए सामने आता है। जैसे ही हम इस दिलचस्प अन्वेषण के क्षितिज पर पहुंचते हैं, पहेली के गहन, जटिल और अंतर्विरोधी टुकड़े जुड़ने लग जाते हैं। क्रांतियों, स्वतंत्रता संग्राम और नए भारत के निर्माण की पृष्ठभूमि में इतिहास की धड़कन को महसूस होती है। "विदित्वा" न सिर्फ इतिहास की एक सम्पूर्ण किताब है, बल्कि यह मानव जाति के अस्तित्व के रहस्य खोलने की कुंजी है।
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