पेट की आग

sheelashrivastava1
जीवनी
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गांव में अकाल पड़ जाने से बहुत से लोग शहर की तरफ काम की तलाश में भाग रहे थे. कुछ लोग गांव छोड़ना नहीं चाह रहे थे, उन्हें अपनी जमीन से लगाव था. बारिश ना होने की वजह से जो थोड़ा सा अनाज पैदा हुआ था, उसमें से एक तिहाई चौधरी के पास चला गया.इन थोड़े से अनाज से उनका क्या होता. मुश्किल से दस -पन्द्रह दिन चले. इसके बाद इस गांव की जनता भूख से मरने लगी. अनाज की कीमत आसमान छू रही थी, जो इन गरीबों के क्रय शक्ति के बाहर की बात थी.
' बेटी मुझे कहीं से भी कुछ खाने को दो. मेरी अतरियां भूख से फटी जा रही है' एक बूढ़ा बाप अपनी बेटी से करुणा भरे स्वर में बोला.
' कहां से लाऊं बापू ? ' राधिका के स्वर में बेबसी की झलक थी.
' चौधरी साहब के हवेली से ' राधिका के बापू ने कहा
' हां बेटी, तुझे अपने बापू के लिए चौधरी साहब के हवेली पर जाना ही होगा.' अपने पति के खराब हालत देखकर राधिका की मां भरे गले से बीच में बोल पड़ी.
'लेकिन मां....?
तभी राधिका का छोटा भाई राजू दौड़ता हुआ आया और हांफते-हांफते बोला, ' माँ -मां, गोरी दीदी की दादी इस दुनिया से चल बसी, भूख ने उन्हें ले डूबी माँ. अब हम लोग भी भूख से मर जाएंगे' कहकर राजू जोर-जोर से रोने लगा.
' नहीं राजू नहीं, चिंता मत करो.मैं अभी चौधरी साहब के हवेली जाती हूं.' कहकर राधिका तीव्र कदमों से चौधरी के हवेली की तरफ चल दी.
चौधरी साहब के हवेली के दरवाजे पर पहूंच कर
राधिका ठिठक गयी.अंदर वे किसी से बात कर रहे थे.

' मालिक गांव की हालत काफी बिगड़ गई है रोज दो- तीन लाशें भूख के कारण निकल रही है. जब सरकार ने अनाज भेज ही दिया है तो फिर आप देर क्यों कर रहे हैं ? लोगों की दयनीय हालत देखकर बड़ा तरस आ रहा है.' रघु डरते -डरते बोला.

' चुप कर, आजकल बहुत बोलने लगा है तू. जब तक मेरी भूख नहीं मिटेगी , मैं किसी की भूख नहीं मिटाने वाला.' चौधरी साहब लापरवाही से बोले.

' आपको भला कैसी भूख मालिक? रघु सहज स्वर में बोला.

' तू नहीं समझेगा? गांव में कितनी ही जवान व खूबसूरत तितलियां है, वो आकर पहले मुझे खुश कर दे, तो फिर मैं खुशी- खुशी गांव में अनाज बांट दूंगा.' चौधरी साहब शैतानी हंसी हंसते हुए बोले.

रघु चुप हो गया, पर उसके चेहरे पर अपने मालिक के प्रति नफरत के भाव उभर आए।

दोनों की पूरी बातें सुनकर राधिका क्रोध से कांपने लगी. कुछ देर सोचने के बाद वह वहां से निकल गई और गांव के चबूतरे पर खड़े होकर वह आते-जाते लोगों को संबोधित करने लगी-' भाई साहब, अगर आप भूख से मरना नहीं चाहते हैं तो मेरी बात सुनिए '

एक आदमी आया, दो आदमी आए, फिर देखते देखते पूरा गांव जमा हो गया.

राधिका पूरे जोश -खरोस से ऊंची आवाज में बोलती जा रही थी, ' भाइयों एवं बहनों, हम लोग दिन रात मेहनत करके अनाज पैदा करते हैं, सभी का पेट भरते हैं, लेकिन हमारा ही पेट खाली रह जाता है क्यों? चौधरी तो कभी खेतों में काम नहीं करता तो फिर उसका घर अनाजों से क्यों भरा रहता है.

मुझे पता चला है कि सरकार ने अकाल पीड़ितों के लिए अनाज गांव में भेज दिया है लेकिन चौधरी ने उसे अपने गोदाम में दबा रखा है. चौधरी के इरादे नेक नहीं है. उसकी नजर गांव के जवान बहू -बेटियों पर है.'

राधिका को गांव वालों को भड़काते हुए देख बृजु चौधरी साहब के पास आया और हांफते-हांफते बोला, ' मालिक- मालिक, वो राधिका है ना, वह गांव वालों को आपके खिलाफ भड़का रही है.'
' अच्छा! , चींटी के पर निकल गए. जाओ, उसके पर कतर दो.' चौधरी साहब गुस्से में दांत पीसते हुए बोले.
' जी मालिक.' आदेश पाते ही बृजु राइफल उठाकर बाहर निकल गया.
' क्या आप लोगों को अपने पेट के खातिर घर की बहू बेटियों का सौदा करना मंजूर है? 'राधिका ऊंची आवाज में पूछी.
'नहीं... ' सभी एक साथ बोल पड़े.
' तो फिर सब लोग मिलकर चौधरी से अनाज छीन लीजिए. उस पर आपका ही हक है.'
' हां हम ऐसा ही करेंगे.' भीड़ से आवाज आई.
' हां तो सभी अपने -अपने घर से, जिसके पास जो भी हथियार हो ले आएं और एक साथ चौधरी के हवेली पर धावा..... आह.... '
राधिका का वाक्य अधुरा ही रह गया.
सब लोग उस तरफ देखने लगे, जिस तरफ से गोली चली थी.
बृजु गोली मारकर भागने लगा.
' हाय, मेरी फूल सी बच्ची को मार डाला रे.' राधिका की मां राधिका को अपने गोद में सुलाकर छाती पीट-पीटकर रोने लगी.
' नहीं दीदी नहीं, तुम हम लोग को छोड़कर नहीं जा सकती.' राधिका का छोटा भाई राजू अपने दीदी का चेहरा अपने दोनों हाथों में लेते हुए भर्राईआवाज में बोला.
राधिका ने अपनी आंखें खोली तो लोगों को थोड़ी उम्मीद बंधी. उसने दर्द से कड़ाहते हुए बोला-
' मैं आपलोंगो का आपका हक नहीं दिला सकी. मुझे माफ कर दीजिए.'
' हम अपना हक भी लेंगे और तुम्हारे खून का बदला भी. तुम हिम्मत मत हारना राधिका बेटी , तुम्हें कुछ नहीं होगा.' फिर वे गांव वालो के तरफ मुखातिब हुए,
' कोई जल्दी से खाट लेकर आओ, राधिका बिटिया को अस्पताल ले चलते हैं'
' अब कोई फायदा नहीं काका. मेरा अंतिम समय आ गया है.' कहने के साथ ही राधिका का चेहरा एक तरफ लुढ़क गया.
राधिका के खून से सनी लाश देख कर सभी का कलेजा मुंह को आ गया. राजू अपनी दीदी के लाश पर गिरकर फूट-फूट कर रोने लगा. गांव के सभी लोगों के आंखों से अविरल अश्रूधारा बह रही थी. शोकाकुल का वातावरण छा गया. गाॅवालों का क्रोध भी चरम पर पहूंच गया.
राधिका के बापू को तो जैसे काठ मार दिया था, उनके मुख से एक शब्द भी नहीं निकला.
' अरे खड़े क्या हो आप लोग ? जाओ मेरी बेटी के खून का चौधरी से हिसाब मांगो.' राधिका की मां रोती हुई चिल्लाई.
एक आदमी आगे बढ़ा और राधिका के लाश को
अपनी कंधे पर उठा लिया. कुछ लोग अपने घरों से लाठी ले आए।
चौधरी मुर्दाबाद, चौधरी खूनी है, चौधरी लुटेरा है के नारों के साथ सभी लोग चौधरी के हवेली की तरफ चल दिए. सारा वातावरण अजीब कोलाहल से भर उठा. राधिका की माँ अभी भी उसी जगह जड़ होकर रोए जा रही थी. राजू के चेहरे पर प्रतिशोध का भाव स्पष्ट झलक रहा था. अपनी दीदी के लाश के साथ -साथ चल रहा था.
सब के जाने के बाद अचानक राधिका के मां का ध्यान अपने पति पर गया.वह जैसे ही उनके कंधे पर हाथ रखी, वे कटे वृक्ष की तरह गिर पड़े.
दरअसल उनके प्राण बहुत पहले ही निकल चुके थे.कोलाहल के बीच किसी का ध्यान उनके तरफ गया ही नहीं था,राधिका के मां के आंखों के सामने अंधेरा छा गया और कुछ ही देर में वह बेहोश होकर गिर पड़ी.
गांव वालों को अपनी हवेली की तरफ आते देख चौधरी साहब की हालत खराब हो गई. वे अपने कमरे में ही बेचैनी से चहलकदमी करने लगे. उनके आदमी उनके इर्द-गिर्द ही मंडरा रहे थे.
' कुछ भी करो, पर इस भीड़ को रोको.' चौधरी ने आदेश दिया.
' इस भीड़ को रोकना बहुत मुश्किल है मालिक. वे लोग राधिका के लाश को लेकर आ रहें हैं. कहीं ये भनक पुलिस को लग गई तो? 'एक ने दबी जुवान से कहा.

'तुम मुझे डराने की कोशिश कर रहे हो? 'चौधरी साहब आंख दिखाते हुए बोले.
' नहीं- नहीं मालिक' वह हकलाते हुए बोला.
' तो कुछ सोचो, भीड़ गेट पर जमा हो गई है.'
' मालिक अगर सभी के घर उनके हिस्से का अनाज पहुंचा दिया जाए तो उन लोगों के क्रोध पर काबू पाया जा सकता है.' बृजु कुछ सोचते हुए बोला.
'यस वण्डरफुल आइडिया. पेट की आग , क्रोध की आग को शांत कर देगा.' चौधरी साहब चुटकी बजाते हुए बोले.
तभी भीड़ से आवाज आई, ' हम राधिका के खून का बदला लेकर रहेंगे.'
' शांति-शांति.' कहते हुए चौधरी साहब बाहर निकले.
' बोलो, क्या बात है? इतना शोर क्यों मचा रहे हो? चौधरी साहब अनजान बनते हुए बोले.
'आपके आदमी ने राधिका को मौत के घाट उतार दिया है. हमलोंगो को इंसाफ चाहिए, अगर हमें इंसाफ नहीं मिला तो हम थाने चले जायेंगे.' एक ने आगे बढकर कहा.
' यह कैसी बातें कर रहे हो तुम लोग.' चौधरी साहब बोले.
'ब्रिजू आपका ही आदमी है. चलो भाईयो, थाना ही चलते हैं,यहां माथा पटकने से कोई लाभ नहीं है ' एक ने कहा तो सभी जाने के लिए मुड़ गए.
' रुको, अगर तुम लोग पुलिस के पास नहीं जाओगे तो मैं तुमलोंगो के घर अनाज पहुंचवा दूंगा.बोलो मंजूर है? '
भीड़ में निस्तब्धता छा गई। सभी के पेट जल रहे थे. भूख से उनका बुरा हाल था, ऐसे हालत में अनाज लेने से इंकार करना उनके वश की बात नहीं थी.
' तुम लोगों की खामोशी बता रही है कि तुम लोगों को मेरी शर्त मंजूर है.' चौधरी साहब के इस बात पर लोगों के बीच कुछ फुसफुसाहट होने लगी. इसी फुसफुसाहट में एक आदमी आगे बढा़ और सिर झुकाकर बोला, ' हम लोगों को आपकी शर्त मंजूर है मालिक.'
' तो ठीक है, लाश को छोड़कर सभी अपने अपने घर चले जाओ. तुम लोग के घर अनाज पहुंच जाएगा.' चौधरी साहब के चेहरे पर विजयी मुस्कान थिरक रही थी
राधिका की लाश को जमीन पर पटक कर सभी अपने अपने घर को चल दिए.
पेट की आग ने क्रोध की आग को शांत कर दिया था. राजू वहीं खड़ा रहा. उसे आज अपनी दीदी की बात धीरे- धीरे समझ में आने लगी कि पेट की आग के सामने कोई भी आग ज्यादा देर तक नहीं टिक सकती.
मौलिक एवं अप्रकाशित
शीला श्रीवास्तव

लेखक का नाम -शीला श्रीवास्तव

मोबाइल नं -09752349246

पूर्ण पता- 1402-o, स्कीम नं - 114 पार्ट 1

विजय नगर, इंदौर ( मध्य प्रदेश)

इमेल - sheelashrivastava1@gmail.com

संक्षिप्त परिचय - दैनिक भास्कर, पत्रिका, नई दुनिया, लोकमत, इंदौर समाचार , सरिता एवं सरस सलिल पत्र- पत्रिकाओं लघु कथा, कहानियां व आलेख प्रकाशित। वामा साहित्य मंच सहित कई प्रतिष्ठित साहित्यिक मंच के सदस्या।

विभिन्न साहित्यिक मंचों पर लघु कथा वाचन। स्वयं सिद्धा में नाम शामिल।

एक उपन्यास "विश्वास " 2021 में प्रकाशित।

आइवे यंग एंटरप्रेन्योर्स अवार्ड 2021 से सम्मानित।

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