लेवेन्ससिक्लस जीवन चक्र

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लेवेन्ससिक्लस

Jeevan Chakra

SurajR

क्रम सूची

"जीवन चक्र

दिमाग के नयूरोंस

खण्ड 3

इंसान

पैसा

प्यार

भगवान्

Levenscyclus/लेवेन्ससिक्लस

लेवेन्ससिक्लस शब्द एक डच शब्द है जिसका अर्थ है जीवन चक्र ।

‘जीवन चक्र’ यह किताब एक सची घटना पे आधारित है । यह कहानी एक लडके की है जिसका मानना ये है के जीवित प्राणी मरने के बाद स्वर्ग नरक कहीं नहीं जाते बल्कि वो कभी भी मरते नहीं हैं वो एक हादसे के बाद किसी दुसरे समय चक्र में चले जाते हैं ।

कभी सोचा है आपने के टाइम का सही मतलब क्या है ?

कभी सोचा है आपने लोग मरने के बाद सच में कहाँ जातें हैं ?

कभी सोचा है आपने के अगर कर्मा यहीं है तो ये स्वर्ग और नरक क्यों है ।

कभी सोचा है आपने के भगवान् सच में हैं या लोग खुद की मनः शान्ति के लिए पाठ पूजा करते हैं ?

जो भी है जेसा भी है मै इस कहानी को एक समय से शुरू करूँगा क्युकी में जिस समय चक्र में आ चूका हूँ उसका समय आपकी दुनिया से अलग है काफी अलग है क्युकी आपकी दुनिया में एक साल में सिर्फ बारह महीने होते हैं और मेरी दुनिया में एक साल में बोहोत से महीने हैं । समझाने के तोर पे कहूँ तो हमारी दुनिया में हर पहले महीने में छे महीने होते हैं । और उसके बाद दूसरा महिना शुरू होता है और हर दुसरे महीने के शुरुआत के दिन में सिर्फ साठ मिनट होते हैं और तीसरे महीने में सिर्फ साठ सेकंड और चोथे महीने में में फिर से छे महीने होते हैं और पांचवे महीने के शुरुआत के दिन में सिर्फ साठ मिनट बस इसी प्रकार मेरी दुनिया में समय का चक्र चलता है ।

जादा कुछ नहीं । सिर्फ तीन साल का खेल है आप सभी को पता लग जाएगा के असलियत में आपकी दुनिया और मेरी दुनिया में जादा फरक नहीं बस येही है के आपके दुनिया में समय को देखने के लिए आप कैलेंडर नामक चीज का पर्योग करते हो और यहाँ मेरी दुनिया में सिर्फ गणित और अनुमान के साथ मै अपनी ज़िन्दगी की गतिविधियाँ करता हूँ । आप अपनी असली दुनिया में ही सिर्फ अपने ज़िन्दगी के तीन साल की गतिविधित्यों पे ध्यान दें देखना आप सभी को कुछ ऐसा जानने को मिलेगा जो असल ज़िन्दगी में कोई नहीं करता । सिर्फ तीन साल ।

कभी सोचा है क्यों ? हमें हमारी ज़िन्दगी में बोहोत बार कुछ इसे चेहरेक्यों दीखते हैं जो जाने पहचाने से होते हैं लेकिन उस चेहरे को पहली बार देख रहे होते हो आप ।

क्यों ? कभी कभी ऐसा लगता है के ये वारदात पहले भी कभी हो चूका है ।

क्यों ? कोई दृश्य या कार्य होने से पहले वो उस दृश्य या कार्य का पहले से होना सपने में केसे आ जाता है ?

खेर ये सब चीजें यहाँ मेरी दुनिया में नहीं होता हालाकि आपकी दुनिया और मेरी दुनिया में जादा फरक नहीं है बस समय का हेर फेर है अर्थात बोहोत से लोग सही समय पे हैं लेकिन गलत जगह पे और बोहोत से लोग गलत समय पे हैं लेकिन सही जगह पे ।

अभी आप जो पढ़ रहें हैं मुझे मालुम है आपको समझ नहीं आ रहा होगा क्युकी इसका ज्ञान मुझे भी मरने के बाद ही पता लगा । लगभग सभी लोग समय से ऊपर नीचें चल रहें हैं और बदकिस्मती से इंसानों को इन सब के बारे में कुछ नहीं पता क्युकी दो दुनियाएँ एक दुसरे के साथ इस हद तक जुड़े हैं के इसका अनुमान लगाना ना के बराबर है के कोन सी दुनिया में आपकी माँ ने आपको अपनी कोख से जनम दिया ।

तो मेरा सवाल ये है के आप अभी भी वहीँ उसी दुनिया में हैं जहाँ आपकी माँ ने आपको जनम दिया या आप जाने अनजाने में किसी और दुनिया में आके उस दुनिया के समय चक्र को काट रहे हो ?

क्युकी में नहीं हूँ ।

मेरी दुनिया में सही समय वो लक्ष्य है जहाँ पोहोंच के आपको सब कुछ शून्य से शुरू करना पड़ता है पर आपकी दुनिया में आप लोग सिर्फ लक्ष्य पे आके रुक जाते हो ।

ये कहानी उस रात 15 नवम्बर -1997 (11:45 मिनट ) को शुरू हो चूकी थी और इस कहानी का किरदार ठीक 31 मई 2019 के रात (11:57 मिनट) पे एक बार मर चूका था । हाँ मै एक बार मर चुका हूँ अपनी पहली दुनिया में जहाँ मेरे एक माँ-बाप हैं तीन बहनें और एक छोटा भाई और एक यार है ।

इन सभी को मेरे होने ना होने का ज्ञान नहीं है इसलिए यहाँ सभी इसे बर्ताब करते हैं मानो जेसे कभी कुछ हुआ ही नहीं था । कोन बताएइन सभी को के आप सब मेरे असली परिवार के बस प्रतिबन्ध हो और में मर चुका हूँ अपने असली दुनिया में ।

अजीब है ना ?

जिंदा लोग तो एक बार ही मरते हैं ऐसा इंसान सोचते हैं पर ये सच नहीं है क्युकी इंसान के दिमाग के नयूरोंस कभी मरते नहीं शायद मेरे दिमाग के नयूरोंस मुझे कहीं और ले के आ गये हैं । मुझे तो ये भी नहीं मालूम के मेरा ये चेहरा यही है जो यहाँ की दुनिया के शीशे में मुझे दीखता है । क्युकी यहाँ की दुनिया इतनी सही तरीके से चल रही है के किसी को कुछ साबित नहीं क्र सकता हूँ बस ये मेरे दिमाग के नयूरोंस ही हैं जिनको पता है के में वास्तविकता में कहाँ हूँ ।

बोहोत बुरा लगता है जब 24 घंटे दिमाग में ये चल रहा होता है के आखिर में यहाँ दूसरी दुनिया में नहीं आता अगर उस रात खुद को मारने की कोशिश नहीं करता उन 16 नींद की गोलियों से । सच कहूँ तो अगर मुझे इसका इलम होता के इंसान मरने के बाद सच में मरते नहीं बस उनके नयूरोंस कहीं और ट्रान्सफर(परिवहन) हो जातें हैं तो मै उस रात सोता ही नहीं ।

यकीन मानो यही सचाई है और में आपकी ही दुनिया में एक चलता फिरता सच हु जिसे आपलोग समझना नहीं चाहोगे । क्यूंकि यहाँ सब कुछ इस हद तक सही है के में खुद को कभी कभी गलत कहने लगता हूँ ।

यहाँ भी मेरी वही माँ है जो मेरे नाराज़ होने पर पूरी रात नहीं सोती, यहाँ भी वही पिता है जिनको मेरी हर एक बात का पता होता है पर अनजान बने रहने का नाटक करते हैं, यहाँ भी वही बहेनें हैं जिसे सच्चाई पन सा जुड़ा लगता है, यहाँ भी वही भाई है मेरे लिए किसी को भी मरने मारने को हमेशा तयार रहता है, यहाँ भी वही यार है जो मेरी सलामती करता है ।

यहाँ भी वही लोग हैं जिनको खुद की बीवी से जादा दूसरों की बीवियों का ख्याल रहता है ।

यहाँ भी वही लोग हैं जो दूसरों की चाट के अपना काम निकालते हैं ।

यहाँ भी वही लोग हैं जो 40 लाख की गाड़ियों में घुमते हैं ।

यहाँ भी वही लोग हैं जो फूटपाथ पे सोते हैं ।

यहाँ भी वही लोग हैं जो करोड़ों कमाते हैं ।

यहाँ भी वही लोग हैं जो भीग मांग अपना पेट भरते हैं ।

यहाँ भी वही लोग हैं जो ठण्ड लगने पे सूरज की धुप की मांग करते हैं ।

यहाँ भी वही लोग हैं जो धुप लगने पे पेड़ों के छाओं की आस करते हैं ।

यहाँ भी वही लोग हैं जो दुआएं देते हैं ।

यहाँ भी वही लोग हैं जो इर्षा करते हैं, यहाँ भी वही रिश्तेदार हैं जो जलते हैं ।

यहाँ सब कुछ इतना सही है मानो जेसे ये ही मेरी असली दुनिया हो पर बदकिस्मती से मेरे दिमाग को पता है के ये बीएस एक भ्रम है जो हर बार मुझे ये सोचने पे मजबूर करता है के येही सच्चाई है और मुझे इसी को अपनाना पड़ेगा । पर आप सभी को कोन समझाए के में वो नहीं हु जो आप समझ रहे हो । शायद हो सकता है में वही हूँ और आप सभी वो नहीं जो में मान रहा हूँ । क्युकी आपकी भी दुनिया में बहुत सी एसी चीजें हैं जिसका ना तो सच्चाई है और नाही कोई वजूद बस उसे आप इंसान एक परम्परा की तरह मना रहे हो और आप उस परम्परा को पूरा करने और आगे ले जाने के लिए आप अपने बचों तक को मजबूर करते हो । यहाँ में भगवान् की बात कर रहा हूँ।

आप क्या सोचोगे ? अगर में कहूँ के भगवान् नमक कोई चीज़ है ही नहीं ।

आप क्या सोचोगे ? अगर में कहूँ के हमारे पूरे ब्रहमांड में 9 गृह ही हैं और हर एक गृह के 1000 प्रतिबन्ध हैं ।

आप क्या सोचोगे ? अगर में कहूँ के इंसान के ज़िन्दगी का सफ़र कभी ख़तम नहीं होता मरने के बाद भी नहीं । मुझे मालूमहै आप सभी को कुछ फरक नहीं पड़ेगा क्युकी मारा में हूँ आप नहीं । अपने असली परिवार से बोहोत दूर अपने परिवार के प्रतिबंद के साथ में रह रहा हूँ आप नहीं ।जिस दुनिया में आप रह रहे हो ये कभी मेरी भी दुनिया हुआ करती थी जहाँ में अपने असली परिवार के साथ रहा करता था ।

कभी कभी तो मुझे लगता है के मै अब भी उसी अस्पताल में हु जहाँ मुझे मरने से कुछ समय पहले ले जाया गया था वही आइ.सी.यु का कमरा नंबर 406 जहाँ में मरने से पहले उस डॉक्टर का नाम पूछ रहा था और ये भी पूछ रहा था के मुझे घर जाने में कितना समय लगेगा । सभी जान पहचान के लोग एक एक कर्फ़ मुझ से मिलने आ रहे थे लेकिन मेरी माँ को अंदर नहीं आने

मेरी माँ अंदर से चिंतित थी परेशान थी पर किसी के आगे जादा जाहिर नहीं होने दे रही थी । क्युकी मुझे अपनी पहली ज़िन्दगी की वो आखिरी रात अभी भी याद है जिसकी सुबह मैने खुद को दो जगाहों में पाया था । ये हादसा में कभी अपने ज़ेहन से चाह के भी नहीं निकाल सकता ।

उस समय मेरी ज़िन्दगी में मैने खुदको दो जगह पाया । एक वहां जहाँ २ डॉक्टर अस्पताल के आइ.सी.यु में मेरे नाक में एक पाइप दाल रहे थे भला में तो ठीक ठाक उनके सामने ही खड़ा था तो आखिर उस अस्पताल के बेड पे कोन है ? ये सवाल लिए में बहार आया तो दूसरी बार मैने खुदको आइ.सी.यु के दरवाजे के खब्बे तरफ खड़ा अपनी माँ को देखा जिनके आँखों में नमी थी और देखते ही देखते उनकी आँखों की नमी आन्सू में बदल गये कोई वहां था जो मेरी माँ को कह रहा था के कुछ नहीं हुआ है उसको वो ठीक है अब । मेरे दिमाग में बस ये चल रहा था के आखिर में और मेरी माँ यहाँ अस्पताल में केसे क्यों और किसलिए हैं मै उनके पास गया और उनसे पूछने की कोशिश की के माँ आप यहाँ क्यों रो रही हो ? पर उन्होंने मुझे कुछ इस तरह नज़रअंदाज किया मानो में उन्हें दिख ही नहीं रहा था । और फिर किसी की परछाई आयी जो मेरी माँ को कह रहा था के कुछ नहीं हुआ है वो ठीक हो जाएगा । उस परछाई से मुझे अभी भी सकत नफरत सी है क्युकी जेसी ही उस परछाई पे मेरी नज़र पड़ी थी वेसे ही में वही गिर गया था और होश आने पे खुदको को उसी अस्पताल के रूम में पाया था जिसपे कुछ डॉक्टर मेरी नाक में कोई पाइप डालने की कोशिश कर रहे थे ।

होस आया तो सामने मेरा छोटा भाई था जिसकी आँखें नींद से भरी पड़ी थी जो शायद कुछ रातों से सोया नहीं था बल्कि मेरे पास बेठता था ओत खड़ता था ।

होस आने के बाद उस से मैने एक ही सवाल किया था यही के में कहाँ हूँ ? उसकी नज़र एक सेकंड मुझ पे पड़ी और ठीक दुसरे सेकंड कही और देखते हुए उसने कहा D.M.C अस्पताल में । मुझे उस समे समझ नहीं आया के मेरे दिमाग के नयूरोंस पहले ही कहीं और ट्रान्सफर हो चुका था जिसके बारे में मुझे 11 महीने बाद पता लगा । अगर आप को नहीं मालुम तो में बता दूँ के सभी जीते जागते चीज़ों के दिमाग के नयूरोंस एक दुसरे से जुड़े हैं भले ही आप इंसान हो या जानवर हम सभी में एक जुड़ाव है और आगे ये जोड़ पृथ्वी के बहार किसी एसी चीज़ से जुडी है जिसके बारे में इंसानों को नहीं मालुम ।

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