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Brahma-Patra / ब्रह्म-पत्र न भूतो न भविष्यति / Na Bhuto na Bhavishyati

Author Name: Shiv Shankar Jha | Format: Paperback | Genre : Literature & Fiction | Other Details

क्या हर आवाज़, जो भीतर सुनाई देती है, हमारी ही होती है?
और क्या हर स्मृति, सच होती है या मृगतृष्णा?

ब्रह्म-पत्र एक ऐसी कथा है जहाँ लिखना धीरे-धीरे आदत नहीं, आवश्यकता बन जाता है। शब्द बार-बार लौटते हैं, प्रश्न गहरे होते जाते हैं, और वास्तविकता अपनी सीमाएँ खोने लगती है। यहाँ प्रेम कोई घटना नहीं बल्कि एक मानसिक अवस्था है, जो समय, दूरी और तर्क से परे फैलती जाती है।

जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, पाठक यह तय नहीं कर पाता कि वह किसी कहानी को पढ़ रहा है या किसी मन के भीतर झाँक रहा है। कुछ रिश्ते स्मृति में बनते हैं, कुछ मौन में टिके रहते हैं और कुछ केवल इसलिए जीवित रहते हैं क्योंकि उन्हें छोड़ा नहीं जा सकता।

ब्रह्म-पत्र उन पाठकों के लिए है
जो जानते हैं कि सबसे खतरनाक यात्राएँ
अपने अंदर की ओर होती हैं।
इस कहानी को न पहले कभी लिखा गया है और न ही कभी लिखा जा सकेगा -
"न भूतो न भविष्यति"

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शिव शंकर झा

शिव शंकर झा पेशे से इंजीनियर हैं, पर आत्मा से एक लेखक । कला, साहित्य और संगीत के प्रति उनका गहरा अनुराग उनके शब्दों में सहजता से झलकता है । उनकी पहली कृति ‘हमींअस्तो’ कविता और गद्य का संग्रह थी । अब ‘ब्रह्म-पत्र’ उनके लेखन का पहला हिंदी उपन्यास है — जहाँ प्रेम, प्रतीक्षा और नियति के संगम पर जीवन की गूँज सुनाई देती है । इस रचना के माध्यम से वे अपने पाठकों का स्नेह और आशीर्वाद विनम्रतापूर्वक चाहते हैं ।

आप अपना संदेश या कोई सुझाव उन तक नीचे दिए गए माध्यमों से पहुँचा सकते हैं । 

Email: shivshankar.author@gmail.com

Instagram: author_shankar

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