तमिळ भाषा में तिरुक्कुरल सातवीं शताब्दी का नीति ग्रंथ है। इस महान ग्रंथ के सृजनहार है संत तिरुवल्लुवर है। इस में आधुनिक लोगों के जीवन को सन्मार्ग पर ले जानेवाली नीति की सीख मिलती हैं। जैसे प्रार्थना,वर्षा, कृषी, ईर्ष्या, क्रोध, लोभ, काम, सहनशीलता और अनेक बातें, शासकों की योग्य बातें , मंत्री के लक्षण, पत्नी के लक्षण, प्यार में रूठ, नायक नायिका मिलन आदि की सीख मिलती है।
इस ग्रंथ के बारे में कहा गया है कि
सरस में सात समुन्दर के भाव भर दिया है। आशा है पाठक पसंद करेंगे।
पाठकों से निवेदन है कि अपनी सुझाव दें। अनंतकृष्णन। sanantha.50@gmail.com.