दोस्तो मैं अकसर गुरूदेव के प्रवचन सुनती रहती हूँ और उनकी कही हुई शिक्षाओं को अपने गीतों में पिरोती रहती हूँ । गुरूदेव के प्रवचनों ने ही मुझे प्रोत्साहित किया और यह किताब बन गई
कुछ गजल हैं कुछ नज्में हैं कुछ हैं इसमें नग्मात मैं तो बस इतना जानती हूँ यह हैं मेरे जज्बात रहमत जब तुमने बरसाई मैंने यह कलम उठाई अब“नूर”मैं लिखती रहती हूँ तेरी खातिर दिन-रात