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"Cold as ice, fierce but depress, She is a damsel in distress." Read More...
"Cold as ice, fierce but depress,
She is a damsel in distress."
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हर पल हर एक लम्हा, जो हम गिनते हैं, जीते हैं, जिन्हें जब हम कुछ सालों के बाद याद करते हैं, तो आते हैं पलकों में आंसू और चेहरे पर एक मीठी सी हँसी। ऐसे ही पलों के संकलन है ये पुस्तक, नानी क
हर पल हर एक लम्हा, जो हम गिनते हैं, जीते हैं, जिन्हें जब हम कुछ सालों के बाद याद करते हैं, तो आते हैं पलकों में आंसू और चेहरे पर एक मीठी सी हँसी। ऐसे ही पलों के संकलन है ये पुस्तक, नानी की कहानियों से बुढ़ापे में खुद नानी बनना, ये सब बस एक ही वाक्य में सिमट जाएगा, ये पल भी गुज़र जाएगा। 'ये पल भी गुज़र जाएगा!?' पारुल सक्सेना ‘कहकशा’ की संकल्पना है जो दो भाग में विभाजित है। पुस्तक का पहला भाग- 'ये पल' है, जिस में ज़िन्दगी के छोटे-छोटे पलों का कविताओं के माध्यम से ज़िक्र है। पुस्तक का दूसरा भाग- 'लम्हे' है, जिस में कवियों ने उन एहसासों को बयाँ किया है, जो हर पल को यादगार बना देते हैं। पुस्तक को पूर्ण करने में पारुल के अतिरिक्त कुछ चुनिंदा कवियों ने भी अपनी रचनाओं को साझा किया है, जो बखूबी से उनके हुनर को दर्शाती हैं।
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