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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh PalPratyasha Nithin is a budding writer and a self-taught artist currently residing in Mysore, India. She creates traditional paintings of Hindu deities based on their dhyana mantras available in various Hindu texts. She has written articles and blog-posts on women’s issues. She is passionate about story-telling and believes that it is a powerful medium to convey ideas and ideals. She regularly contributes short stories (Hindi & English) to Pragyata magazine. She has published two Hindi novelettes "मायापाश" and "झूठ की परत". Read More...
Pratyasha Nithin is a budding writer and a self-taught artist currently residing in Mysore, India. She creates traditional paintings of Hindu deities based on their dhyana mantras available in various Hindu texts. She has written articles and blog-posts on women’s issues. She is passionate about story-telling and believes that it is a powerful medium to convey ideas and ideals. She regularly contributes short stories (Hindi & English) to Pragyata magazine. She has published two Hindi novelettes "मायापाश" and "झूठ की परत".
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"मायापाश" प्राचीन भारत के एक काल्पनिक राज्य व्योमालय में हुई एक रहस्यमयी घटना की कहानी है| राज्य के राजकुमार जिनका कुछ ही दिनों में युवराज्याभिषेक होना था, अकस्मात लुप्त हो जाते ह
"मायापाश" प्राचीन भारत के एक काल्पनिक राज्य व्योमालय में हुई एक रहस्यमयी घटना की कहानी है| राज्य के राजकुमार जिनका कुछ ही दिनों में युवराज्याभिषेक होना था, अकस्मात लुप्त हो जाते हैं| ऐसी विपदाजनक परिस्थिति में एक ब्राह्मण का व्योमालय में आगमन होता है| कैसे वो इस विचित्र गुत्थी को सुलझायेंगे? क्या रहस्य है राजकुमार की लुप्तता का? यहीं कहानी है मायापाश की|
जिस दिन साक्षी को उसके मायके से निकाला जाता है, उसी दिन उसका पति भी उसके सामने एक ऐसी शर्त रख देता है जिसके चलते वो देर रात उसका घर छोड़कर अकेले भटकने के लिए निकल पड़ती है| ना उसके पास प
जिस दिन साक्षी को उसके मायके से निकाला जाता है, उसी दिन उसका पति भी उसके सामने एक ऐसी शर्त रख देता है जिसके चलते वो देर रात उसका घर छोड़कर अकेले भटकने के लिए निकल पड़ती है| ना उसके पास पैसे हैं और ना ही रहने की कोई जगह| नास्तिक साक्षी को एक पुराने गिरिधर मंदिर के पंडित, मंदिर के पास एक कमरे में रहने की जगह देते हैं, और साक्षी मजबूरीवश मना नहीं कर पाती| पंडित जी की मीठी मीठी बातों से साक्षी को शक है कि वो उसे आस्तिक बनाने का षड्यंत्र रच रहे हैं| पर क्या ये षड्यंत्र पंडित जी का है, या स्वयं गिरिधर का? अब अगर साक्षी इस षड्यंत्र से बच भी जाए, तो भी उसके पास उलझनों की कोई कमी नहीं| साक्षी का पति उससे प्यार करने का दम भरता है और साक्षी को ये प्यार नहीं चाहिए; क्योंकि उसके पति का प्यार उसके जीवन पर हर दिन भारी पड़ता जा रहा है| इसलिए जहाँ एक तरफ उसका पति इस कोशिश में लगा है कि साक्षी वापस उसके पास आ जाए, वहीँ दूसरी तरफ साक्षी कैसे भी इस रिश्ते से मुक्ति पाना चाहती है| इसी बीच साक्षी एक और दुविधा में तब पड़ जाती है, जब अनजाने ही उसका दिल एक दूसरे आदमी की ओर झुकने लगता है; और वो भी तब जब साक्षी अपने जीवन को एक अलग ही तरीके से जीने का निर्णय कर चुकी है| ऐसी परिस्थितियों में फँसी साक्षी अपने ही चरित्र पर सवाल उठाने लगती है| क्या चुने- पति, प्यार, या वो जीवन जिसे उसने खुद अपने लिए चुना था? कृष्णसाक्षी कहानी है साक्षी के कृष्णसाक्षी बनने के सफर की| ये कहानी है भक्ति की, प्यार की, और धर्म-अधर्म के बीच के द्वंद्व की|
कहते हैं एक झूठ को छुपाने के लिए सौ झूठ और बोलने पड़ते हैं | पर झूठ बोलने वाला कभी ये नहीं सोचता कि उसके झूठ का सामने वाले पर क्या प्रभाव पड़ेगा, या शायद सोचकर भी वो इसे ज्यादा भाव नहीं द
कहते हैं एक झूठ को छुपाने के लिए सौ झूठ और बोलने पड़ते हैं | पर झूठ बोलने वाला कभी ये नहीं सोचता कि उसके झूठ का सामने वाले पर क्या प्रभाव पड़ेगा, या शायद सोचकर भी वो इसे ज्यादा भाव नहीं देता | झूठ बोलने के कई कारण हो सकते हैं – डर, घृणा, गुस्सा, या फिर ये भी हो सकता है कि कोई कारण हो ही नहीं | पर झूठ, झूठ ही होता है; और जिससे हम झूठ बोलते हैं उसे हम धोखा ही दे रहे होते हैं | हम चाहे अपने झूठ को कितना भी अपनी मजबूरी का नाम दे दें, पर फिर भी हम उस कर्म से अपना पीछा नहीं छुड़ा सकते जो हमने अपने झूठ से किसी को प्रभावित करके अर्जित किया | और जब हमारे झूठ से बनी परतें एक के बाद एक खुलती हैं, तो उसके अन्दर से निकला सच किसी के जीवन को कितना भयंकर रूप से प्रभावित कर सकता है, ये हम सोच भी नहीं सकते | "झूठ की परत" झूठ की इन्हीं परतों में उलझे जीवन की कहानी है |
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