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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh PalRavindra Prabhat is a Hindi novelist, journalist, poet, and short story writer from India. He has worked as an editor and screen play writer. He was born in the village of Mahindwara, Sitamarhi, India. He raised and received primary education there. He obtained higher education in geography honours from B. R. Ambedkar Bihar University in Muzaffarpur, he later studied Master of Journalism and Mass Communication (MJMC) from the Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University, Allahabad. Some of his works have been translated into other languages and published in various literary magazines and anRead More...
Ravindra Prabhat is a Hindi novelist, journalist, poet, and short story writer from India. He has worked as an editor and screen play writer. He was born in the village of Mahindwara, Sitamarhi, India. He raised and received primary education there. He obtained higher education in geography honours from B. R. Ambedkar Bihar University in Muzaffarpur, he later studied Master of Journalism and Mass Communication (MJMC) from the Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University, Allahabad. Some of his works have been translated into other languages and published in various literary magazines and anthologies. He has been writing since 1987 in various subjects. He is also chief editor of Parikalpana Samay (Hindi Monthly Magazine). He is a realistic poet, often writing about social topics and human suffering. His work often touches on human suffering and social issues. He has written and edited works on Hindi blogging, and has also published his writing in the form of a blog. He started blogging in 2007, and has published fiction as well as reviews of other blogs. He is a founding member of the Parikalpna Award, a blog literary award in India. It is presented by the magazine Parikalpana Samay and the Non-governmental organization Parikalpnaa. The first Parikalpna Award was presented on 30 April 2011.
Books Published-
(1) Ham Safar (1991) (his first Geet-Gazal collection in Hindi)
(2) Mat Rona Ramjani Chacha ( Gazal collection in Hindi,1999)
(3) Smriti Shesh (Poetry collection in Hindi, 2002)
(4) Taki Bacha Rahe Loktantra(2011) ISBN 9788191038583 (Fiction, Hindi)
(5) Prem Na Hat Bikay (2012) ISBN 9789381394106 (Fiction, Hindi)
(6) Dharati Pakad Nirdaliya (2013) ISBN 9789381394519 (Fiction, Hindi)
(7) Lakhanaua Kakka(2018) ISBN 978-93-83967-40-7(Fiction,Bhojpuri)
(8) Samakalin Nepali Sahitya (critical writings,essays and interviews,1995)
(9) Hindi Bloging Ka Itihas (2011) ISBN 978-93-80916-14-9 (Hindi)
(10) Hindi Bloging: Abhivyakti Ki Nai Kranti (2011) ISBN 978-93-80916-05-7
(11) Hindi Bhasha ke vividh ayam (2018) ISBN 978-93-84397-67-8 (Hindi essays collection)
(12) Responsibility Awareness & Public Behavior (2019) ISBN 9781647832902 (Hindi/English)
(13) samajik midia aur ham (2020) ISBN 9781648055621 (Hindi)
(14) Kashmir 370 kilometer (2019) ISBN 9781647609320 (Hindi,Novel)
Documentaries-
Naya Bihan (Screen Play Writer, 1992) television documentary film on Women's Education under the UNESCO related plan of Unit of Sitamarhi District in "Bihar Education Project".
Adaptations of Prabhat's works-
(1) Ravindra Prabhat Ki Parikalpana aur Blog alochana karm By Dr. Siyaram (2017) ISBN 978-93-83967-35-3 (Hindi)
(2) Audio Book: Prem Na Haat Bikay (Narrator: Ashish Jain)
(3) Audio Book: Dharati Pakad Nirdaliy (Narrator: Kafeel Jafri)
(4) Echoes of the Getaway (Novel, 2020) ISBN 9781636065694 (The original book in Hindi Kashmir 370 kilometer was translated into English by Gautam Roy)
Website-ravindraprabhat.in
Contact Email Id- ravindra.prabhat@gmail.com/
Mobile No. 9415272608/6307607007
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सामान्यत: शारीरिक, मानसिक और आत्मिक, तीन तरह के सुख होते हैं । शारीरिक सुख की तृप्ति के बाद मानसिक सुख और फिर आत्मिक सुख की तृप्ति की आवश्यकता होती है। आत्मिक सुख को प्राप्त करने क
सामान्यत: शारीरिक, मानसिक और आत्मिक, तीन तरह के सुख होते हैं । शारीरिक सुख की तृप्ति के बाद मानसिक सुख और फिर आत्मिक सुख की तृप्ति की आवश्यकता होती है। आत्मिक सुख को प्राप्त करने के लिए अध्यात्मिकता के मार्ग पर चलना ही होगा। आत्मिक साधना के द्वारा मनुष्य साधारण से असाधारण बनने तक का सफर तय करता है।अध्यात्म एक ऐसा शब्द है जिसे परिभाषित करना कठिन है। जिन्होंने भी इसके संबंध में जो कुछ कहा है, अपने अनुभव के आधार पर कहा है। जैसा की हम जानते है की अध्यात्म दो अक्षरों से मिलकर बना है अध्य + आत्म अर्थात इसका सीधा सा अर्थ है की स्वयं का अध्यन करना। अर्थात अपने अंदर का ज्ञान करना। लेखक द्वारा इस पुस्तक में अध्यात्म की इन्हीं सूक्ष्म पहलुओं को उधृत किया गया है।
सामान्यत: शारीरिक, मानसिक और आत्मिक, तीन तरह के सुख होते हैं । शारीरिक सुख की तृप्ति के बाद मानसिक सुख और फिर आत्मिक सुख की तृप्ति की आवश्यकता होती है। आत्मिक सुख को प्राप्त करने क
सामान्यत: शारीरिक, मानसिक और आत्मिक, तीन तरह के सुख होते हैं । शारीरिक सुख की तृप्ति के बाद मानसिक सुख और फिर आत्मिक सुख की तृप्ति की आवश्यकता होती है। आत्मिक सुख को प्राप्त करने के लिए अध्यात्मिकता के मार्ग पर चलना ही होगा। आत्मिक साधना के द्वारा मनुष्य साधारण से असाधारण बनने तक का सफर तय करता है।अध्यात्म एक ऐसा शब्द है जिसे परिभाषित करना कठिन है। जिन्होंने भी इसके संबंध में जो कुछ कहा है, अपने अनुभव के आधार पर कहा है। जैसा की हम जानते है की अध्यात्म दो अक्षरों से मिलकर बना है अध्य + आत्म अर्थात इसका सीधा सा अर्थ है की स्वयं का अध्यन करना। अर्थात अपने अंदर का ज्ञान करना। लेखक द्वारा इस पुस्तक में अध्यात्म की इन्हीं सूक्ष्म पहलुओं को उधृत किया गया है।
'Stings of the exodus' is the sequel of the novel, 'ECHOES OF THE GETAWAY'. This novel is an English translation of the Hindi novel titled ' PRATISHRUTI', written by famous Hindi novelist Ravindra Prabhat. The narrative moves from Kashmir to foreign lands, where macro problems of migrants and refugees are portrayed in a powerful way.
‘STINGS OF THE EXODUS' focuses on the global refugee problem, which has today become a great challenge and curse f
'Stings of the exodus' is the sequel of the novel, 'ECHOES OF THE GETAWAY'. This novel is an English translation of the Hindi novel titled ' PRATISHRUTI', written by famous Hindi novelist Ravindra Prabhat. The narrative moves from Kashmir to foreign lands, where macro problems of migrants and refugees are portrayed in a powerful way.
‘STINGS OF THE EXODUS' focuses on the global refugee problem, which has today become a great challenge and curse for the whole humanity. This novel presents a story of struggle for existence and identity in any adverse situation in such a strong and interesting way, that the narrative touches the inner cord and sensibilities of the readers. The writer has handled the complicated and sensitive subject in a very balanced and emotional way, but while exploring, in reality the writer is very candid and bold in sense of expressions. Though the characters and incidents of the plot are fictitious, but each character represent some or the other human tragedy happening around the world.
शरणार्थी समस्या किसी देश लिए आबादी आक्रमण के समान है, जिसमें लोग हथियारों के बजाय आंसू लेकर आते है। आज भारत समेत पूरा विश्व शरणार्थी संकट से जूझ रहा है, इस कड़ी में सीरिया, बांग्
शरणार्थी समस्या किसी देश लिए आबादी आक्रमण के समान है, जिसमें लोग हथियारों के बजाय आंसू लेकर आते है। आज भारत समेत पूरा विश्व शरणार्थी संकट से जूझ रहा है, इस कड़ी में सीरिया, बांग्लादेश, इराक, अफगानिस्तान और म्यांमार बड़े शरणार्थी निर्यातक देश तो भारत, कनाडा, जर्मनी समेत यूरोप के बड़े भूभाग के कई देश शरणार्थी आयातक बनते जा रहे है। वहुचर्चित लेखक रवीन्द्र प्रभात ने इस उपन्यास में इन समस्याओं को विस्तार से उल्लिखित करते हुए यह दर्शाने की कोशिश की है कि पलायन और विस्थापन की पीड़ा कितनी हृदय विदारक होती है। लेखक का मानना है कि इसका दर्द वही समझ सकता है, जो अपने घर से बेघर होता है। यह पुस्तक लेखक के पूर्व प्रकाशित बहुचर्चित उपन्यास ‘‘कश्मीर 370 किलोमीटर‘‘ का अगला भाग है। जिन साथियों ने पूर्व में प्रकाशित उस उपन्यास को पढ़ा है, उनके लिए निश्चित रूप से इस उपन्यास में अगली कड़ी जोड़ते हुए पढ़ने का अपना एक अलग आनंद होगा और जिन साथियों ने पूर्व में प्रकाशित उस उपन्यास को नहीं पढ़ा है, उन्हें भी इसे पढ़ते हुए किसी अधूरेपन का एहसास नहीं होगा। इस उपन्यास को लिखते हुए लेखक के द्वारा इन बातों का विशेष ध्यान रखा गया है।
डॉ0 मिथिलेश दीक्षित आस्थावादी विचारधारा और मानवीय मूल्यों की प्रबल पक्षधर मानवतावादी रचनाकार हैं। उन्होने हाइकु–गीत और हाइकु–मुक्तकों में अपनी संवेदनाओं की प्रभावशाली अ
डॉ0 मिथिलेश दीक्षित आस्थावादी विचारधारा और मानवीय मूल्यों की प्रबल पक्षधर मानवतावादी रचनाकार हैं। उन्होने हाइकु–गीत और हाइकु–मुक्तकों में अपनी संवेदनाओं की प्रभावशाली अभिव्यक्ति कर, हिन्दी साहित्य में अपनी सार्थक उपस्थिति दर्ज करने में सफल रही हैं। उन्होने हाइकु–मुक्तकों में अपनी मुक्तक की चार पंक्तियों की प्रत्येक पंक्ति में एक हाइकु–छन्द का सफल प्रयोग ही नहीं किया, बल्कि अधिकांशत: उसे तुकान्त बनाने में भी अपनी क्षमता का परिचय दिया है। वे सादगी और विनम्रता की जीती जागती प्रतिमूर्ति हैं और उनका व्यक्तिव भी हिमालय की मानिंद विशाल है। यह पुस्तक उनके कृतित्व और व्यक्तित्व को रेखांकित करती हुई एक नूतन आयाम का विस्तार करती है। यह पुस्तक विविधता से युक्त, सहज–सम्प्रेषणीय भावों से ओतप्रोत, सीधी–सच्ची भाषा में मन को, स्पर्श करने वाली, आनन्द देने वाली और कहीं–कहीं कुछ गम्भीरता से सोचने को विवश करने वाली है, जो पाठकों को सहज आकर्षित करती है।
इस पुरुष प्रधान समाज में राम की सर्वत्र चर्चा होती है, सीता की क्यों नहीं? आज का प्रगतिशील समाज राम को इसलिए दोष देता है कि उन्होंने गर्भवती सीता का परित्याग किया, उसे वन में निर
इस पुरुष प्रधान समाज में राम की सर्वत्र चर्चा होती है, सीता की क्यों नहीं? आज का प्रगतिशील समाज राम को इसलिए दोष देता है कि उन्होंने गर्भवती सीता का परित्याग किया, उसे वन में निर्वासित किया। उनका यह भी मानना है, कि सदियों से धरतीपुत्री सीता जैसी स्त्रियाँ, सत्ता के हाथों की गुड़िया रही है और राम सरीखे मर्यादा पुरुषोत्तम सत्ता तक पहुँचने के साधन। इतिहास में सीता के जन्म को लेकर भी अनेकानेक भ्रांतियाँ है। कहते हैं, सीता पृथ्वी से निकलीं। क्या बच्चे पृथ्वी से जन्म लेते हैं? जिस धनुष को दस-दस हजार राजा नहीं उठा सके, सीता उसी को उठाकर प्रतिदिन सफाई करती थी, क्या यह तथ्य विचित्र प्रतीत नहीं होता? उसी प्रकार सीता पृथ्वी में समाहित हो गई। सर्वत्र रामराज्य स्थापित हो गया। यह कहाँ तक सत्य है? सीता और राम के बारे में क्या सोचती है आज की पीढ़ी? इन्हीं सब बातों की पड़ताल करता रवीन्द्र प्रभात का यह उपन्यास सीता से जुड़ी प्रमुख घटनाओं को सामने लाने का एक विनम्र प्रयास है।
बाज़ार में स्टॉक मार्केट से संबंधित विभिन्न प्रकार की पुस्तके हैं, किन्तु ऐसी पुस्तकों की संख्या कम है जो शेयर बाज़ार के बारे मे मूलभूत जानकारी देती हो या शेयर बाज़ार मे निवेश या ट्
बाज़ार में स्टॉक मार्केट से संबंधित विभिन्न प्रकार की पुस्तके हैं, किन्तु ऐसी पुस्तकों की संख्या कम है जो शेयर बाज़ार के बारे मे मूलभूत जानकारी देती हो या शेयर बाज़ार मे निवेश या ट्रेड के बारे में शुरुआती ज्ञान उपलब्ध कराती हो और एक परफेक्ट निवेशक बनाने मे आपकी सहायता करती हो। यदि आपको हिन्दी मे ऐसी पुस्तकों की तलाश है जो स्टॉक मार्केट से संबंधित आपको एक सहायक शिक्षक के रूप में आपका मार्गदर्शन करे तो निश्चित रूप से यह पुस्तक आपके लिए बेहद उपयोगी साबित हो सकता है। यदि आप नए ट्रेडर या निवेशक हैं और शेयर बाज़ार को करीब से जानना चाहते हैं तो आपको यह पुस्तक जरूर पढ़ना चाहिए। आप निरंतर रूप से इस पुस्तक को पढ़ते हुए एक स्मार्ट निवेशक के रूप में अपनी पहचान कायम कर सकते हैं।
The Popular Hindi novel “Kashmir 370 Km”. Written by famous Indian novelist Ravindra Prabhat & Translated in English by Gautam Roy, which tells the story of Kashmir's social fabric collapsing over time. It also explores the shameful and frightening historical aspects of Kashmir. Tale of elopement of a Kashmiri pundit family from Kashmir and with this entwined the sub plots of deterioration and disintegration of social fabric of Kashmiri
The Popular Hindi novel “Kashmir 370 Km”. Written by famous Indian novelist Ravindra Prabhat & Translated in English by Gautam Roy, which tells the story of Kashmir's social fabric collapsing over time. It also explores the shameful and frightening historical aspects of Kashmir. Tale of elopement of a Kashmiri pundit family from Kashmir and with this entwined the sub plots of deterioration and disintegration of social fabric of Kashmiri society with time, insights of golden and dark chapters of ancient and contemporary political, social and cultural history of the valley, terrorism, conspiracies and evil designs of a foreign state to destabilize the whole region, sufferings of the common citizens and greed for power and money of the unscrupulous, corrupt leaders combinedly form a powerful narrative of the novel titled “Echoes of the Getaway”.
आज के दौर में बेहद ताकतवर माध्यम है सामाजिक मीडिया। एक ऐसा वर्चुअल वर्ल्ड, एक ऐसा विशाल नेटवर्क, जो इंटरनेट के माध्यम से आपको सारे संसार से जोड़े रखने में समर्थ है। द्रुत गति से सूच
आज के दौर में बेहद ताकतवर माध्यम है सामाजिक मीडिया। एक ऐसा वर्चुअल वर्ल्ड, एक ऐसा विशाल नेटवर्क, जो इंटरनेट के माध्यम से आपको सारे संसार से जोड़े रखने में समर्थ है। द्रुत गति से सूचनाओं के आदान-प्रदान और पारस्परिक संचार का एक बहुत सशक्त माध्यम है सामाजिक मीडिया। यह मीडिया जिसे वैकल्पिक मीडिया भी कहा जाता है पारस्परिक संबंध के लिए अंतर्जाल या अन्य माध्यमों द्वारा निर्मित आभासी समूहों को संदर्भित करता है। यह व्यक्तियों और समुदायों के साझा, सहभागी बनाने का माध्यम है। इसका उपयोग सामाजिक संबंध के अलावा उपयोगकर्ता सामग्री के संशोधन के लिए उच्च पारस्परिक मंच बनाने के लिए मोबाइल और वेब आधारित प्रौद्योगिकियों के प्रयोग के रूप में भी देखा जा सकता है। इस पुस्तक में लेखक ने सामाजिक मीडिया का समग्र मूल्यांकन कराते हुये सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पहलुओं को पाठकों के समक्ष रखा है। सामाजिक मीडिया को जानने-समझने का यह बेहद उपयोगी पुस्तक है, जिसमें लेखक ने कहा है कि दुनिया में दो तरह की सिविलाइजेशन का दौर शुरू हो चुका है, वर्चुअल और फिजीकल सिविलाइजेशन। आने वाले समय में जल्द ही दुनिया की आबादी से दो-तीन गुना अधिक आबादी इन्टरनेट पर होगी।
हर व्यक्ति जीवन में पद, प्रतिष्ठा, प्रशंसा, पैसा और प्रसिद्धि प्राप्त करना चाहता है और यह उसके जीवन की बड़ी अभिलाषा होती है। दायित्व बोध व लोक व्यवहार पुस्तक के रूप में ऐसा अव्यवसा
हर व्यक्ति जीवन में पद, प्रतिष्ठा, प्रशंसा, पैसा और प्रसिद्धि प्राप्त करना चाहता है और यह उसके जीवन की बड़ी अभिलाषा होती है। दायित्व बोध व लोक व्यवहार पुस्तक के रूप में ऐसा अव्यवसायिक टूल है जो आपके व्यक्तित्व को इस प्रकार निखारने की कला सिखाता है, जिससे आप प्रबंधकीय गुण व कला में दक्षता प्राप्त करते हुये एक बड़े व्यक्तित्व के मालिक बन सके। साथ ही अपने कर्म क्षेत्र में निरंतर व गुणवततापूर्ण प्रगति करते हुये बड़ी ज़िंदगी को अंगीकार कर सके। आप चाहे किसी वर्ग या पेशे से हों, जीवन में आगे बढ़ने और सफलता पाने के लिए दूसरों को प्रभावित करना जरूरी है। मशहूर लेखक रवीन्द्र प्रभात की हिन्दी और अँग्रेजी दोनों भाषाओं में संयुक्त रूप से लिखी गयी यह पुस्तक दिलचस्प शैली और सरल भाषा में पाठकों को जनसामान्य से जुड़ने के अचूक तरीके बताती है, ताकि प्रत्येक पाठक जीवन जीने की कला विकसित करने में सफल हो सके।
यह मशहूर भारतीय उपन्यासकार रवीन्द्र प्रभात का पाँचवाँ उपन्यास है, जो कश्मीर के सामाजिक तानेबाने को समय के साथ ध्वस्त होने की कहानी बयान करता है। साथ ही कश्मीर के शर्मनाक और दहश
यह मशहूर भारतीय उपन्यासकार रवीन्द्र प्रभात का पाँचवाँ उपन्यास है, जो कश्मीर के सामाजिक तानेबाने को समय के साथ ध्वस्त होने की कहानी बयान करता है। साथ ही कश्मीर के शर्मनाक और दहशतनाक ऐतिहासिक पहलूओं की गहन पड़ताल भी करता है। किस्सागोई शैली में लिखा गया यह उपन्यास आम पाठक के लिए काफी रोचक और पठनीय है। कश्मीर जैसे ज्वलंत विषय पर बिना किसी पूर्वाग्रह और बोझिल विश्लेषण से बचते हुए लेखक ने पुस्तक की जानकारियों को स्वाभाविक अंदाज में संप्रेषित किया है। कश्मीर पर आधारित यह उपन्यास ऐसे समय में आया है जब भारत सरकार ने ऐतिहासिक फैसला करते हुए कश्मीर से धारा 370 को समाप्त कर जम्मू कश्मीर को दो भागों में बाँट दिया है और इसको लेकर भारत पाकिस्तान के बीच एक बार फिर संवादहीनता की स्थिति बनी है। सत्य घटनाओं पर आधारित यह उपन्यास इंसानी जूझारूपन की एक ऐसी कहानी है जो हर भारतीय के दिल में शांति इंसानियत और न्याय के सहअस्तित्व के प्रति विश्वास को बल प्रदान करता है, वहीं कश्मीरी हिन्दुओं की व्यथा को औपन्यासिक कलेवर में बांधकर प्रस्तुत भी करता है। कश्मीर के मसले को देखने–समझने वाली एक पीढी जब लगभग समाप्त हो चुकी है तब नई पीढी के लिए इस वक्त में इस उपन्यास का आना काफी प्रासंगिक है ।
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