योग विषय में UGC - NET की तैयारी के लिए ये सर्वोत्तम पुस्तक शृंखला है, इस पुस्तक में घेरण्ड संहिता का सार रूप वर्णित है जो की पाठ्यक्रम के अनुरूप तैयार किया गया है
भवानी प्रसाद मिश्र जी लिखते हैं -
"जिस तरह हम सोचते हैं उस तरह तू लिख,
और उसके बाद ही हमसे बड़ा तू दिख।"
एक लेखक की जिम्मेदारी होती है कि वह आम जनता के हृदय की बात को अपने शब्दो
यह काव्य - शृंखला समर्पित है उन सभी कलमों को जिनकी स्याही में आसमान को रंगने सामर्थ्य है।
यह पुस्तक उन सबके लिए है जो जीवन में भक्ति और प्रेम को समकक्ष स्थान देते हैं। भक्ति में प्रेमी हो जाना तथा प्रेम में भक्त हो जाना ही भावना की उच्चतम अवस्था है। समर्पण, त्याग और श्र
एकांतवास में भी अकेला न हो पाने का एहसास जब तू नहीं होती, तो तेरी याद रहती है, अकेला हो नहीं पाता, तू मेरे साथ रहती है। Read More...