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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh PalMahim is a Motivational Speaker, Poet, Yoga - Therapist and Independent Writer. He has performed all across the country on the National Stages and International TV channels.Read More...
Mahim is a Motivational Speaker, Poet, Yoga - Therapist and Independent Writer. He has performed all across the country on the National Stages and International TV channels.
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योग विषय में UGC - NET की तैयारी के लिए ये सर्वोत्तम पुस्तक शृंखला है, इस पुस्तक में घेरण्ड संहिता का सार रूप वर्णित है जो की पाठ्यक्रम के अनुरूप तैयार किया गया है
योग विषय में UGC - NET की तैयारी के लिए ये सर्वोत्तम पुस्तक शृंखला है, इस पुस्तक में घेरण्ड संहिता का सार रूप वर्णित है जो की पाठ्यक्रम के अनुरूप तैयार किया गया है
भवानी प्रसाद मिश्र जी लिखते हैं -
"जिस तरह हम सोचते हैं उस तरह तू लिख,
और उसके बाद ही हमसे बड़ा तू दिख।"
एक लेखक की जिम्मेदारी होती है कि वह आम जनता के हृदय की बात को अपने शब्दो
भवानी प्रसाद मिश्र जी लिखते हैं -
"जिस तरह हम सोचते हैं उस तरह तू लिख,
और उसके बाद ही हमसे बड़ा तू दिख।"
एक लेखक की जिम्मेदारी होती है कि वह आम जनता के हृदय की बात को अपने शब्दों के माध्यम से अर्थपूर्ण ढंग से अभिव्यक्त करे।
इस काव्य संग्रह में मैंने अपनी कविताओं को आप लोगों के समक्ष प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। आशा करती हूं की यह काव्य संग्रह आप लोगों के हृदय की वीणा के तारों में कुछ स्पंदन करने में समर्थ होगी।
यह काव्य - शृंखला समर्पित है उन सभी कलमों को जिनकी स्याही में आसमान को रंगने सामर्थ्य है।
यह काव्य - शृंखला समर्पित है उन सभी कलमों को जिनकी स्याही में आसमान को रंगने सामर्थ्य है।
यह पुस्तक उन सबके लिए है जो जीवन में भक्ति और प्रेम को समकक्ष स्थान देते हैं। भक्ति में प्रेमी हो जाना तथा प्रेम में भक्त हो जाना ही भावना की उच्चतम अवस्था है। समर्पण, त्याग और श्र
यह पुस्तक उन सबके लिए है जो जीवन में भक्ति और प्रेम को समकक्ष स्थान देते हैं। भक्ति में प्रेमी हो जाना तथा प्रेम में भक्त हो जाना ही भावना की उच्चतम अवस्था है। समर्पण, त्याग और श्रद्धा, ये तीनों जीवन के आधार स्तम्भ हैं। भारतीय संस्कृति सदैव से बुद्धि पर भावनाओं के अंकुश को बल देती रही है। विद्या तथा अविद्या दोनों को जानना आवश्यक है, सम्भूति तथा विनाश दोनों को ही समझ लेना उचित है क्योकि किसी एक को ही जानने पर कल्याण संभव नहीं हैं। भावनाएं मनुष्य को अन्य प्रजातियों से भिन्न बनाती हैं। भावों का होना तथा उनका अभिव्यक्त हो पाना दोनों अलग अलग बातें हैं। किसी भी भाव की प्रांजल अभिव्यक्ति सिर्फ काव्य से ही संभव है और मनुष्य में काव्य - संस्कार का होना स्वयं में सौभाग्य है। इस पुस्तक में मैंने आप सभी की भावनाओं को शब्द देने का प्रयास किया है। इस पूरी पुस्तक में आपको विभिन्न रसों का आस्वादन करने का अवसर मिलेगा। जिस प्रकार विभिन्न प्रकार के गुणों, रंगों और सुगंधों से युक्त फूलों का गुलदस्ता अकेले फूल से सुन्दर और मनहर होता है उसी प्रकार यह पुस्तक किसी भी रस विशेष पर केन्द्रित न होकर आपको सभी प्रकार के रसों से आनंदित करेगी।
एकांतवास में भी अकेला न हो पाने का एहसास जब तू नहीं होती, तो तेरी याद रहती है, अकेला हो नहीं पाता, तू मेरे साथ रहती है। Read More...
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