Kunal kanth

ना यहां कोई तख्त है ना मैं बादशाह ,स्याही का हूं रज़ा होगी तो पूरी दुनिया जीत लूंगा नहीं तो खुद से भी हार जाऊंगा ।
ना यहां कोई तख्त है ना मैं बादशाह ,स्याही का हूं रज़ा होगी तो पूरी दुनिया जीत लूंगा नहीं तो खुद से भी हार जाऊंगा ।

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तुम

By Kunal kanth in Poetry | Reads: 625 | Likes: 1

तुम  हर नज़्म में तुम , हर लफ्ज़ में तुम मैं तो ठहरा काफिर पर मुझे निखारती  नायाब फरिश्ता तुम ।हर अक्श में तुम ,हर ख्  Read More...

Published on Feb 17,2021 04:57 PM

मैं तुम्हारा हूं

By Kunal kanth in Poetry | Reads: 566 | Likes: 0

मैं राज़ भी तुम्हारा  मैं हमराज भी तुम्हारा  तुम भय से मुक्त हो  मैं उपसर्ग भी तुम्हारा  मैं जड़ चेतना भी तुम्हारा    Read More...

Published on Feb 14,2021 09:37 PM

पहला प्यार

By Kunal kanth in Stories | Reads: 617 | Likes: 1

पहला प्यार "अधूरा हो पूर्ण"यूं तो दीवानगी की कोई हद कोई उम्र नहीं होती।पर जब ये  अधूरी हो पूर्ण ही कहलाती तब वो इतिह  Read More...

Published on Feb 14,2021 09:28 PM

आंशिक प्रेम

By Kunal kanth in Stories | Reads: 1,433 | Likes: 1

          ''  आंशिक प्रेम ''यूं तो कहते है न हर सफलता का श्रेय एक स्त्री ही ले जाती हां सही सोच रहे मैं बिल्कुल इसी विषय पे   Read More...

Published on Feb 14,2021 09:26 PM

प्रेम के पहले चरण का स्पस्ट वर्णन है प्रिय यह

By Kunal kanth in Poetry | Reads: 597 | Likes: 0

प्रेम के पहले चरण स्पष्ट वर्णन है  प्रिय यहबयार सा है रंगीन आसमां मन उत्सुकता में गीत कोई रच रही हैइस पल में जो दिख   Read More...

Published on Feb 14,2021 09:18 PM

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