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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palकटनी, मध्य प्रदेश में जन्में गौरव गुप्ता युवा लेखक हैं। वर्ष 2003 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग से ग्रेजुएशन करने के पश्चात वर्तमान में इंडियन ऑइल कॉर्पोरेशन में वरिष्ठ प्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं। हिंदी भाषा में 2006 से सतत सक्रिय हैं। Read More...
कटनी, मध्य प्रदेश में जन्में गौरव गुप्ता युवा लेखक हैं। वर्ष 2003 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग से ग्रेजुएशन करने के पश्चात वर्तमान में इंडियन ऑइल कॉर्पोरेशन में वरिष्ठ प्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं। हिंदी भाषा में 2006 से सतत सक्रिय हैं। इनकी कहानी एवं कविताओं का विभिन्न हिंदी समाचार पत्र,अन्य साहित्यिक पत्रिकाओं एवं सोशल मीडिया में सतत प्रकाशन है। यूट्यूब चैनल: दिल की बात अपनों के साथ by Gaurav Gunja Gupta एवं फेसबुक पेज: https://www.facebook.com/byGauravGunjaGupta/ काफी चर्चित है।
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"ह्रदय बसें श्री राम" की शुरुआत प्रभु श्री राम के जन्म से होती है। स्वयं नारायण पृथ्वी के भार को हरने जन्म लेते हैं और मुनि विश्वामित्र के साथ चलते हुए ताड़का,सुबाहु,मारीचि से मु
"ह्रदय बसें श्री राम" की शुरुआत प्रभु श्री राम के जन्म से होती है। स्वयं नारायण पृथ्वी के भार को हरने जन्म लेते हैं और मुनि विश्वामित्र के साथ चलते हुए ताड़का,सुबाहु,मारीचि से मुक्ति दिलाते हैं। जनकपुरी में धनुषभंग कर श्री राम, सिया के हो जाते हैं एवं बारात सहित वापस अयोध्या आ जाते हैं।
राजा दशरथ, प्रभु श्री राम के राज्याभिषेक की तैयारी कर रहे होते हैं किन्तु कैकयी को दिए वचन के अनुसार उन्हें कैकयी की बात माननी पड़ती है और अंततः प्रभु श्री राम, सीता और लक्ष्मण संग वनवास को निकल जाते हैं। प्रभु के वियोग में दुःखी भरत, प्रभु श्री राम से मिलने चित्रकूट आते हैं। अंत में भरत, चित्रकूट से लौट कर अपना सिंहासन त्याग कर वहाँ प्रभु श्री राम की चरण पादुका स्थापित करते हैं।
शूर्णपखा श्री राम पर मोहित होकर, रूप बदलकर उनसे मिलने आती है किंतु लक्ष्मण क्रोध में आकर उसकी नाक काट देते हैं। खर-दूषण का प्रभु श्री राम के हाथों वध होता है। रावण, मां सीता को हर के ले जाता है।
प्रभु श्री राम, हनुमान जी से मिलते हैं। जामवंत, हनुमान जी को याद दिलाते हैं कि इस जग में अगर कोई है जो सागर पार कर सकता है तो वो सिर्फ हनुमान ही हैं। हनुमान जी, श्री जामवंत के वचनों को सुनकर माँ सीता की खोज करने लंका की ओर प्रस्थान करते हैं।
श्री राम के क्रोध के डर से सागर प्रकट होते हैं और बताते हैं कि नल-नील में वो शक्ति है जो पत्थर से सागर पर पुल निर्माण कर सकते हैं। कुम्भकर्ण और मेघनाद का वध होता है। अंत में रावण स्वयं युद्ध में जाने का निश्चय करता है। भीषण युद्ध के पश्चात् प्रभु श्री राम के हाथों रावण का उद्धार होता है। अंत में प्रभु श्रीराम के राज्याभिषेक के बाद सभी वानर अपने अपने राज्य को प्रस्थान करते हैं।
संपूर्ण श्री राम कथा को छः भागों में बांटा गया है। 'उद्धार करें श्री राम ' इस श्रृंखला का छठवां व अंतिम भाग है। अन्य 5 भाग:
1. जय रघुनंदन जय सिया राम
2. कण-कण में बसते श्री राम&n
संपूर्ण श्री राम कथा को छः भागों में बांटा गया है। 'उद्धार करें श्री राम ' इस श्रृंखला का छठवां व अंतिम भाग है। अन्य 5 भाग:
1. जय रघुनंदन जय सिया राम
2. कण-कण में बसते श्री राम
3. अनादि अनंत अगोचर राम
4. मृदुल-मनोहर छबि अभिराम
5. ह्रदय बसें हनुमान
संपूर्ण श्री राम कथा के अंतिम भाग 'उद्धार करें श्री राम' की शुरुआत वहाँ से होती है जब प्रभु श्री राम सागर से रास्ता देने के लिए निवेदन करते हैं। प्रभु श्री राम के क्रोध के डर से सागर प्रकट होते हैं और बताते हैं कि नल-नील में वो शक्ति है जो पत्थर से सागर पर पुल निर्माण कर सकते हैं। श्री राम, रामेश्वरम में शिव लिंग ली स्थापना करते हैं। श्री राम सेना सहित सागर पार कर सुबेल पर्वत पर निवास करते हैं। अंगद दूत बनकर श्री राम का संदेश लेकर रावण के पास जाते हैं किंतु रावण उनकी बात नहीं मानता है। युद्ध का आरंभ होता है। लक्ष्मण जी मेघनाद से युद्ध कर घायल हो जाते हैं और हनुमान जी संजीवनी बूटी लाकर उनकी सहायता करते हैं। कुम्भकर्ण का श्री राम के हाथों और मेघनाद का लक्ष्मण के हाथों वध होता है। अंत में रावण स्वयं युद्ध में जाने का निश्चय करता है। भीषण युद्ध के पश्चात् प्रभु श्री राम के हाथों रावण का उद्धार होता है।
संपूर्ण श्री राम कथा को छः भागों में बांटा गया है। 'मृदुल मनोहर छबि अभिराम' इस श्रृंखला का चौथा भाग है। अन्य 5 भाग:
1. जय रघुनंदन जय सिया राम
2. कण-कण में बसते श्री राम
3.
संपूर्ण श्री राम कथा को छः भागों में बांटा गया है। 'मृदुल मनोहर छबि अभिराम' इस श्रृंखला का चौथा भाग है। अन्य 5 भाग:
1. जय रघुनंदन जय सिया राम
2. कण-कण में बसते श्री राम
3. अनादि अनंत अगोचर राम
5. ह्रदय बसें हनुमान
6. उद्धार करें श्री राम
'मृदुल मनोहर छबि अभिराम' की शुरुआत वहाँ से होती है जब मां सीता को ढूढ़ते हुए प्रभु श्री राम , हनुमान जी से मिलते हैं। हनुमान जी उन्हें सुग्रीव से मिलाते हैं। सुग्रीव को दिए वचन के अनुसार प्रभु श्री राम बालि का उद्धार करते हैं। संपाति वानरों को बताते हैं की रावण, मां सीता को लंका ले कर गया है। और अंत में जामवंत , हनुमान जी को याद दिलाते हैं कि इस जग में अगर कोई है जो सागर पार कर सकता है तो वो सिर्फ हनुमान ही हैं।
तो पढ़िए मेरे साथ 'मृदुल मनोहर छबि अभिराम' और जोर से बोलिये जय श्री राम
संपूर्ण श्री राम कथा को छः भागों में बांटा गया है। 'अनादि अनंत अगोचर राम ' इस श्रृंखला का तीसरा भाग है। अन्य 5 भाग:
1. जय रघुनंदन जय सिया राम
2. कण-कण में बसते श्री राम
4. म
संपूर्ण श्री राम कथा को छः भागों में बांटा गया है। 'अनादि अनंत अगोचर राम ' इस श्रृंखला का तीसरा भाग है। अन्य 5 भाग:
1. जय रघुनंदन जय सिया राम
2. कण-कण में बसते श्री राम
4. मृदुल-मनोहर छबि अभिराम
5. ह्रदय बसें हनुमान
6. उद्धार करें श्री राम
‘अनादि अनंत अगोचर राम’ की शुरुआत वहाँ से होती है जब शूर्णपखा श्री राम पर मोहित होकर, रूप बदलकर उनसे मिलने आती है किंतु लक्ष्मण क्रोध में आकर उसकी नाक काट देते हैं। खर-दूषण का प्रभु श्री राम के हाथों वध होता है। मां सीता अग्नि में प्रवेश करती हैं और उनकी जगह माया सीता ले लेती हैं। मारीचि स्वर्णमृग बनकर आता है और उसका भी प्रभु के हाथों वध हो जाता है। रावण, मां सीता को हर के ले जाता है और रास्ते में जटायु से उसका सामना होता है। मां सीता को ढूढ़ते हुए प्रभु शबरी पर कृपा करते हैं और अंत में प्रभु सीते को ढूढ़ते हुए पंपासर सरोवर की ओर निकल जाते हैं।
तो पढ़िए मेरे साथ ‘अनादि अनंत अगोचर राम’ और जोर से बोलिये जय श्री राम
5 से 16 वर्ष आयु के बच्चों को ध्यान में रखकर लिखी गई संपूर्ण श्री राम कथा को छः भागों में बांटा गया है। 'कण-कण में बसते श्री राम ' इस श्रृंखला का दूसरा भाग है। अन्य 5 भाग:
1. जय रघ
5 से 16 वर्ष आयु के बच्चों को ध्यान में रखकर लिखी गई संपूर्ण श्री राम कथा को छः भागों में बांटा गया है। 'कण-कण में बसते श्री राम ' इस श्रृंखला का दूसरा भाग है। अन्य 5 भाग:
1. जय रघुनंदन जय सिया राम
3. अनादि अनंत अगोचर राम
4. मृदुल-मनोहर छबि अभिराम
5. ह्रदय बसें हनुमान
'कण कण में बसते श्री राम' की शुरुआत वहाँ से होती है जब राजा दशरथ, प्रभु श्री राम के राज्याभिषेक की तैयारी कर रहे होते हैं किन्तु कैकयी को दिए वचन के अनुसार उन्हें कैकयी की बात माननी पड़ती है और अंततः प्रभु श्री राम, सीता और लक्ष्मण संग वनवास को निकल जाते हैं। दशरथ यह वियोग सहते सहते अपने प्राण त्याग देते हैं। वनवास के दौरान केवट प्रभु की नैया पार कराते हैं। चित्रकूट में अपने निवास के समय कोल भील उनकी सहायता करते हैं। प्रभु के वियोग में दुःखी भरत, प्रभु श्री राम से मिलने चित्रकूट आते हैं। अंत में भरत चित्रकूट से लौट कर अपना सिंहासन त्याग कर वहाँ प्रभु श्री राम की चरण पादुका स्थापित करते हैं।
तो पढ़िए मेरे साथ 'कण कण में बसते श्री राम' और जोर से बोलिये जय श्री राम………
5 से 16 वर्ष तक की आयु तक के बच्चों को ध्यान में रखकर लिखी गई संपूर्ण श्री राम कथा (चित्र सहित) को छः भागों में बांटा गया है। 'ह्रदय बसें हनुमान' इस श्रृंखला का पांचवा भाग है। अन्य 4 भाग:&
5 से 16 वर्ष तक की आयु तक के बच्चों को ध्यान में रखकर लिखी गई संपूर्ण श्री राम कथा (चित्र सहित) को छः भागों में बांटा गया है। 'ह्रदय बसें हनुमान' इस श्रृंखला का पांचवा भाग है। अन्य 4 भाग:
१. जय रघुनंदन जय सिया राम
2. कण-कण में बसते श्री राम
3. अनादि अनंत अगोचर राम
4. मृदुल-मनोहर छबि अभिराम
6. उद्धार करें श्री राम
"ह्रदय बसें हनुमान " की शुरुआत वहाँ से होती है, जब हनुमान जी, श्री जामवंत के वचनों को सुनकर माँ सीता की खोज करने लंका की ओर प्रस्थान करते हैं। हनुमान जी सागर लांघ कर अनेकानेक विपत्तियों का बल और विवेक से सामना करते हुए, माँ सीता का पता लगाते हैं और अंत में प्रभु श्री राम को माँ सीता की निशानी भेंट करते हैं।
तो पढ़िए और सुनिए मेरे साथ "ह्रदय बसें हनुमान" और बोलिये- जय रघुनन्दन जय श्री राम, जय वीर हनुमान ।
“अंकुरित होते बीजों में सही खाद पानी देंगे तो वृक्ष बनकर निश्चित ही फल भी अच्छे ही मिलेंगे”। 5 से 16 वर्ष के बच्चों को ध्यान में रखकर एक नए अंदाज में लिखी गई पुस्तक है "संपूर्ण श्
“अंकुरित होते बीजों में सही खाद पानी देंगे तो वृक्ष बनकर निश्चित ही फल भी अच्छे ही मिलेंगे”। 5 से 16 वर्ष के बच्चों को ध्यान में रखकर एक नए अंदाज में लिखी गई पुस्तक है "संपूर्ण श्री राम कथा"। यह सचित्र पुस्तक बहुत ही सरल शब्दों में प्रभु श्री राम की महिमा का वर्णन करती है जिसे पढ़कर बच्चे आसानी से गोस्वामी तुलसीदास कृत श्री रामचरितमानस के भाव को समझ सकते हैं।
हमारे आराध्य श्री राम की महिमा को बच्चे आसानी से पढ़ व समझ सकें और पीढ़ी दर पीढ़ी युगों युगों तक अनवरत यह क्रम जारी रहे यही लक्ष्य है।
संपूर्ण श्री राम कथा को छः भागों में बांटा गया है। 'जय रघुनंदन जय सिया राम' इस श्रृंखला का प्रथम भाग है। अन्य 5 भाग:
2. कण-कण में बसते श्री राम
3. अनादि अनंत अगोचर राम
4. मृदुल-मनोहर छबि अभिराम
5. ह्रदय बसें हनुमान
6. उद्धार करें श्री राम
"जय रघुनंदन जय सिया राम " की शुरुआत प्रभु श्री राम के जन्म से होती है। स्वयं नारायण देवताओं को धीरज बंधाते हुए पृथ्वी के भार को हरने जन्म लेते हैं और मुनि विश्वामित्र के साथ चलते हुए ताड़का, सुबाहु, मारीचि से मुक्ति दिलाते हैं। अंत में जनकपुरी में धनुषभंग कर श्री राम, सिया के हो जाते हैं एवं बारात सहित वापस अयोध्या आ जाते हैं।
तो पढ़िए मेरे साथ "जय रघुनंदन जय सिया राम " और एक बार जोर सो बोलिये जय श्री राम………
तेज मूसलाधार बारिश , रात का समय यही कोई आठ बजे होंगे। सीता अपने दोनों बच्चों को साथ लेकर घर लौट रही थी। सीता जब सोलह क Read More...
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