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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal
महर्षिकृष्णद्वैपायनवेदव्यासजी द्वारा रचित अठारह पुराणों में ब्रह्माण्डपुराण का महत्व शक्तिउपासना में विशेष है क्योंकि इसमें ‘ललितोपाख्यान’शीर्षक है जिसमें भगवान हयग्री
महर्षिकृष्णद्वैपायनवेदव्यासजी द्वारा रचित अठारह पुराणों में ब्रह्माण्डपुराण का महत्व शक्तिउपासना में विशेष है क्योंकि इसमें ‘ललितोपाख्यान’शीर्षक है जिसमें भगवान हयग्रीव अगस्त्य ऋषि को ललितासहस्त्रनाम का उपदेश दे रहे हैं ,वक्ता श्रोता और विषय वस्तु का यहाँ अपूर्व मणिकांचनं संयोग है। भगवती त्रिपुरसुन्दी की सहस्त्र नामावली में श्रीविद्या बिन्दु में सिन्धु के समान समाई हुई है जिसे ऋषियों ,मनीषियो,और विद्वान साधको ने अपनी साधना से गुरूशिष्य परम्परा द्वारा संजोये रखा है ललिता सहस्त्रनाम की अनेकानेक भारतीय और विदेशी विद्वानों ने टीकाऐं लिखी हैं जिनमें से महान मनीषी भास्करराय द्वारा प्रणीत संस्कृतभाष्य ‘सौभाग्य भास्कर’ सर्वमान्य ग्रन्थ है । इसी पर आधारित ‘ललितालालित्य’ब्रजभाषा की छन्दबद्ध रचना हिन्दी साहित्य जगत की पहली कृति है जिसकी रचनाकार श्रीमती आशा चतुर्वेदी हैं। इनकी एक कृति ‘वेणुनाद’ प्रकाशित हो चुकी है जिसके अन्तर्गतश्री कृष्णलीला के भावपूर्णछन्द ब्रजभाषा में रचे गये हैं । कवियत्री आज भी अपनी साहित्य साधना में सततप्रयासरत हैं।
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