JUNE 10th - JULY 10th
आसमान तारों से भरा हुआ है। जहाँ भी आसमान पर नजर दौड़ाओ, सिर्फ तारे ही नजर आ रहे है। चन्द्रमा का कोई नाम और निशान नहीं है, क्योंकि आज अमावस्या की रात है और आज की ही रात पिशाच अपने शिकार पर निकलते है। वह पिशाच सुबह होने के पहले चले जाते है।
उस आसमान के नीचे एक नदी बह रही है। उसका पानी इतना साफ है की आसमान की तस्वीर उस पानी मे उभर आई है। इस नदी के किनारे पर बहुत से पेड़-पौधे लगे है। उस जगह दूर-दूर तक सिर्फ पेड़-पौधे और सिर्फ पेड़-पौधे ही है। उसे जंगल कहना सही होगा।
और उन तारों के जैसी हालत उन दो बच्चो की भी थी। वह भी उन तारों की तरह अपने घर का रास्ता ढूँढ़ रहे थे। इस बात से अंजान की आज अमावस्या की रात है। यह सुना जंगल किसी के लिए भी सुरक्षित नही है, और वह दोनो तो छोटे बच्चे है।
जिनमें एक की उम्र १६ साल होगी और दूसरे की लगभग ११ साल। जिसकी उम्र १६ साल है, उसका नाम राज है। वह आगे भाग रहा है, भागते-भागते वह पीछे की तरफ देख रहा है और कह रहा है "तेज और तेज दौड़ो वीर नहीं तो वह हमें पकड़ लेगें ।”
दुसरा छोटा लड़का जो राज के पीछे है , उसका नाम वीर है। वह पुरी तेजी से आगे की तरफ भागता जा रहा है। उसका सांस फुल चुकी है। उससे भागा नहीं जा रहा है। फिर भी वह भाग रहा है। उसकी रफ्तार कम हो गई है।
लेकिन जब उसने पीछे मुड़कर देखा तो उसके पैर रुक गए, वह आगे नहीं बढ़ पाया, वह वहीं स्तब्ध की तरह खड़ा रहा। उसके कानों में हल्की-हल्की आवाज आ रही थी।
“वीर, वीर क्या सोच रहा है। जल्दी चल यहाँ से, भाग वीर भाग” लेकिन वीर के कदम आगे नहीं बढ़ रहे है, माने किसी ने उस पर जादू कर दिया हो। वह अभी भी वहीं खड़ा है।
राज उसे इस तरह खड़ा देखकर उसका तरफ भागता है। लेकिन एक पत्थर से उसका पैर टकरा जाता है, वह जमीन पर चेहरे के बल गिरता है। उसके पैर से खून बहने लगता है। उसके चेहरे पर चोट की लकीरें खिंच जाती है। जिनमें खून उभर आता है। वह खून बूँद बनकर राज के चेहरे से टपकने लगता है। राज सिर्फ अपने भाई की तरफ देखता है।
राज का भाई वीर अपने घायल भाई को देख रहा होता है। तभी उन झाड़ियों मे से एक पिशाच निकलता हुआ दिखाई देता है। वह वीर पर हमला कर देता है।
राज का खून जमींन पर गिरने लगता है। उस खून की महक उस जंगल में फैल जाती है। पिशाच भी शांत हो जाता है। वह पीछे मुड़ता है। लेकिन अब देर हो गई है। राज के उन खून की बूँदों ने सारे जंगल को जगा दिया है।
उस जंगल में रहने वाले पिशाच फिर से उठ खड़े हुए है। वह उस महक की पीछा कर रहे है, जो उन खून की बूँदों से आ रही है। हर तरफ से पिशाच उस तरफ बढ़ने लगे है।
तभी उनकी नजर घायल पड़े हुए वीर पर पड़ी।
वह पिशाच दूसरे पिशाचों को डराने की कोशिश करता है। वह पिशाच पर हमला कर देते है। पिशाच के शरीर से खून बहने लगता है। राज यह सब देख रहा होता है।
राज की आँखों से आंसू आ जाते है। वह रोने लगता है। उसके रोने की आवाज सुनकर पिशाचों का ध्यान उस इंसान पर पड़ता है। वह उस पर हमला करने के लिए आगे बढ़ते है।
तभी आसमान पर अचानक एक सुनहरे और पीले से रंग की रोशनी छा जाती है। सब पिशाच रुक जाते है और आसमान की तरफ देखने लगते है। वह पीले और सुनहरे रंग की रोशनी आसमान में फैलती जाती है। राज भी आसमान की तरफ देख रहा है। तभी उस पीले रंग के बीचो-बीच सफेद रंग उभरने लगता है, वह बढ़ता जाता है। कुछ देर तक देखने के बाद पता चला की वह सफेद रंग घोड़ों का है।
राज को एक घोड़ा दिखाई देता है फिर दुसरा और तीसरा, राज उन घोड़ों को देखने लगता है। वह एक या दो नहीं बल्कि सात घोड़े है, बिल्कुल सफेद। किसी भी घोड़े में काले रंग का नाम भी नहीं था। फिर उसे एक रथ दिखाई देता है, जिस पर रथ को चलाने वाला एक सारथी और रथ का स्वामी भी उस रथ पर खड़ा है। यह पीली और सुनहरी रंग की रोशनी उसी से आ रही है।
वह रथ आसमान से धरती की तरफ बढ़ रहा है। रथ पर खड़ा वह व्यक्ति एक देवता की तरह दिखाई दे रहा है। वह एक देवता हो सकता है।
वह देवता सारथी को नदी के किनारे उतारने के लिए इशारा करते है। सारथी और रा उनकी आज्ञा पाकर रथ को नदी के किनारे पर उतारता देते है। देवता रथ से उतरते है उनके शरीर से अभी भी वह रोशनी निकल रही है। वह उनका तेज है।
पिशाच उन पर हमला करते है, लेकिन जब उनका तेज का प्रकाश जिस भी पिशाच पर पड़ता है। वह पिशाच जल जाता है और राख में बदल जाता राज यह सब देखता है। सभी पिशाचों में भगदड़ मच जाती है। अब उस जगह पर कोई भी पिशाच दिखाई नहीं दे रहा है।
राज ने अपने सामने देखा, जहाँ उसका भाई जमीन पर पड़ा है। देवता नदी के दूसरी तरफ है। वह नदी की दूसरी तरफ जाने का फैसला करता है, और देवता से मदद माँगेगा। वह जब नदी की दूसरी तरफ जा रहा था तो उसे बहुत सारे पिशाच दिखाई दे रहे थे। जो देवता से बचने के लिए पेड़ के पीछे, पत्थर के पीछे, झाड़ी के पीछे छिपे है। कोई भी राज पर हमला करने की हिम्मत नहीं कर रहा है। क्योंकि ऐसा करने से वह देवता उन्हें सब को देख सकते है। कोई भी पिशाच अपने आप को सामने नहीं करना चाहता है।
राज नदी की दूसरी तरफ पहुँच जाता है। उस नदी में थोड़े ही आगे एक पगडण्डी भी है। शायद यहाँ से लोग गुजरते होगे। उस जगह नदी की गहराई भी कम है। उसके उपर की तरफ नदी मे गहराई बहुत ज्यादा है। दूसरी तरफ नदी के निचले हिस्से में काफी ज्यादा मात्रा में झाड़ियाँ है। वहाँ पत्थरों का जाल सा बिछा है।
जहाँ पर वह रथ रखा है। राज ने आज तक रथ नहीं देखा था। वह एक लकड़ी का रथ है। जो रात में भी सोने की तरह चमक रहा है। उस पर बहुत सुंदर आकृति बनी थी। वह अपनी हाथ की हथेली से उस रथ की आकृति को छूते हुए आगे बढ़ता है। तभी रथ पर बैठा हुआ रथ का सारथी उससे कहते है:‑“हाँ बेटा, इतनी रात को यहाँ पर क्या कर रहे हो?”
“मुझे मदद चाहिए। मेरे भाई पर एक पिशाच ने हमला किया है। कृपया मेरी मदद कीजिए।”
“मैं तो तुम्हारी मदद नहीं कर सकता हूँ, लेकिन मेरे स्वामी तुम्हारी मदद कर सकते है।”
“मैं अभी उनके पास जाता हूँ।”
“रुको” उसने तेज स्वर में कहाँ।
“तुम अभी उनके पास नहीं जा सकते हो। वह स्नान कर रहे है।”
राज सामने बहती हुई नदी में देखता है। वह स्नान कर रहे है। उनमें से वह प्रकाश अभी भी निकल रहा है। जिससे वह पानी भी उसी रंग का दिखाई दे रहा है।
वह नदी से बाहर की तरफ निकल आते है। राज उनकी तरफ जाता है। वह उन्हें देखता है। उन्होंने पीले रंग का वस्त्र पहना हुआ है। उनके लंबे बाल है। तभी उनका सारथी उनके लिए उनका मुकुट लाता है। वह उस मुकुट को पहन लेते है। वह भी पीले रंग का था। उन्होंने बाजुओं पर कुछ पहना हुआ है। गले में एक लंबा सा पीले रंग का हार पहना हुआ है। उन्होने अपने गले में पहना हुआ फूलो का हार उतारा और नदी में बहा दिया। उनके माथे पर अभी भी लाल रंग की टीका दिखाई दे रहा है।
रवि को देखकर वह पूँछते है।
“क्या हुआ, पुत्र! तुम परेशान क्यों दिख रहे हो?”
“मेरे भाई पर पिशाचों ने हमला किया है। वह नदी की दूसरे किनारे पर है। क्या आप हमारी मदद करेंगे?” राज ने कहाँ
देवता ने राज की बात को गंभीरता से सुना।
“वह पास के एक पेड़ से कुछ पत्ते तोड़ते है। उसका एक दोंना बनाते है। और उसमें नदी का पानी भरते है।”
वह पानी से भरा दोंना वह राज को देते हुए कहता है। यह पानी अपने भाई को पिला देना वह ठीक हो जाएगा।
राज उस दोने को ले लेता है। वह दोंने मे देखता है, दोंने में भरा भी चमक रहा होता है। देवता रथ की तरफ बढ़ते है और उस पर खड़े हो जाते है। वह राज के देखते है और कहते है, “फिर मिलेंगे” कहते हुए सारथी से चलने के लिए कहते है।
देवता की आज्ञा पाकर सारथी अपना सिर झुकाता है। और वह घोड़ों की लगाम खींचता है। घोड़े आसमान की तरफ उड़ने लगता है। वह रथ आसमान में चला जाता है। और बादलों में जाकर कहीं गुम हो जाता है।
देवता सारथी से कहते है कुछ पूछना चाहते हो।
हाँ, आपने उस बालक को उस पिशाच से भरे जंगल में कैसे छोड़ दिया। मैं बस यहीं जानना चाहता हूँ।
“वह बालक जो किसी देवता के तेज को सह सकता है। उसे किसी पिशाच से डरने की क्या आवश्यक्ता है। ”
राज को नदी की दूसरी तरफ जाना है, और बीच में है नदी का पानी और पिशाच, लेकिन राज ने हिम्मत नहीं हारी। वह नदी को पार करने लगा। उसके चारों तरफ पिशाच कहीं न कहीं छिपे थे। वह राज को नदी पार करते देख रहे थे। जब उन्हें विश्वास हो गया कि देवता चले गए है। सभी छिपे हुए पिशाच बाहर निकलने लगे थे।
वह सब उसी को देख रहे थे। अचानक सब की गति तेज हो गई। वह तेंजी से भागते हुए राज की तरफ बढ़ने लगे। उन सब के पास शिकार एक था।
राज पिशाचों को अपनी तरफ आते हुए देखकर तेजी से अपने भाई की तरफ भागता है। लेकिन फिर भी पिशाच उसे घेर लेते है। लेकिन जब तक राज अपने भाई के पास पहुँच गया था। उन दोनो के चारों तरफ पिशाच है। लेकिन भागते हुए उसके हाथ से वह दोंना गिर जाता है। उसमें भरा जल धरती पर गिर जाता है। उसके पास ही उसका भाई मूर्छित अवस्था में जमीन पर पड़ा था।
कुछ ही देर मे सभी पिशाचों एक साथ राज पर हमला कर दिया। तभी आसमान में एक अजीब पर बहुत सुंदर पीले और सुनहरे रंग का प्रकाश दिखाई देने लगा। वह तेजी के साथ बढ़ता रहा। कुछ ही पल में वह प्रकाश राज और वीर के साथ सभी पिशाचों पर पड़ने लगा। जैसे ही वह प्रकाश उन पिशाचों पर पड़ा। वह जलने लगा। कुछ ही पलों में सभी पिशाच राख में बदल गए।
उस प्रकाश की चमक के कारण राज ने आँखे बन्द कर ली थी। और जब उसने आँखे खोली तो उसने देखा की उसके सामने वहीं देवता खड़े है। उनकी मन्द मुस्कुराहट ने राज के सभी दुखो को मानों जैसे नाश कर दिया हो।
उन्होंने मुस्कुराते हुए कहाँ, “हम तो तुम्हारा नाम पूँछना ही भुल गए थे। तुम्हारा नाम क्या है?”
राज ने उनकी तरफ देखा और कहाँ, “मेरा नाम राज है।” फिर वह अपने भाई की तरफ मुड़ा, “और मेरे छोटे भाई का नाम वीर है।”
जब वह दोबारा उस तरफ देखा तो उसने देखी की देवता के हाथ में वहीं दोंना है और उसमें जल भी भरा है। वह देवता राज को दोंना देते है।
राज उस दोंने को ले लेता है। वह अपने भाई को जल पिला देता है। कुछ ही पलों में वीर ठीक हो जाता है। उसके घाव भी भर जाते है।
राज देवता की तरफ खुश होते हुए मुड़ता है, लेकिन उसे देवता दिखाई नहीं देते है। वह समझ जाता है की वह चले गए है। वह अपने भाई की तरफ मुड़ता है और कहता है, “ चलो यहाँ से चलते है।”
सुबह भी होने लगती है और सभी पिशाच वहाँ से चले जाते है। और वह दोनो भी चले जाते है, अपने घर की तरफ।
“मुझे तो अभी तक विश्वास नहीं हो रहा है की कोई बालक आपके तेज को भी सह सकता।”
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Amit Yadav
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