जब भी हम कभी अकेले होते हैं। कुछ ना कुछ विचार या भावनाएं हमारे मन मे उथल पुथल मचाने लगती हैं। जिनसे पीछा छुड़ाना इतना आम नहीं होता। वो सब ऐसे अनछुवे एहसास होते हैं जिनको हम किसी खास व्यक्ति के सम्मुख कभी फुर्सत में बताना चाहते हैं। परन्तु क्या फायदा हम लोग तो सामान्यतः जिंदगी की उलझन, रिश्तों और अहसासों में इस तरह उलझे रहते हैं कि कभी हम खुद को कभी मुक्त ही नहीं करा पाते हैं।
हम निरंतर कोशिश में लगे रहते हैं की अपने मन के उन विशेष भावों को किसी के सम्मुख व्यक्त करें लेकिन ऐसा हो नही पाता है। इस किताब के माध्यम से उन्ही एहसासों को हमने शब्दों का रूप देने की कोशिश की है।