कवयित्री सुशी सक्सेना जी की कविताएं मोहब्बत के लिबास में लिपटकर भांति भांति रूपों में इसकी अभिव्यक्ति करती है। दिल की बातें कविता ऐसे बन जाती है कि लिखने से ही सब पा लिया है। सृजन की अभिलाषा में कवयित्री अपने दिल के सब राज खोलती चलती है। कवयित्री का अपना सार्वजनिक बयान है कि उनकी कविताएं सोच विचार से परे है.ये तो बस दिल में उमड़ते एहसासों में जीती है, अनुभूतियों को शब्दों से मिलाती है।