वैसे तो पूरा विश्व ही कोरोनावाइरस महामारी से तृस्त है किन्तु विकसित देशों के मुकावले भारतवर्ष की सामाजिक संरचना कुछ ऐसी है कि सामूहिक व सामुदायिक रूप में रचावसा भारतीय समुदाय इससे काफी प्रभावित हुआ है।
भारत के अधिकांश निवासी एक प्रवासी के रूप में सरकारी व गैर-सरकारी नौकरी के कारण तथा प्रवासी मजदूर के रूप में अपने घरों से दूर रहकर जीवन यापन करते हैं। वहाँ भी वह घनी वस्तियों में रहकर दिनचर्या विताते हैं जिस कारण वह जल्दी ही किसी भी महामारी की चपेट में आ जाते हैं।
इस महामारी से जहां भारतीय अर्थव्यवस्था पर संकट आया वहीं सामाजिक ताने वाने में भी काफी वदलाव महसूस किया गया। उसी को इस पुस्तक के माध्यम से सामने लाने का प्रयास किया गया है। पाठकगण कृपया अपने सुझावों से मुझे अवगत करने की कृपा करें जिससे इस कोरोनावाइरस महामारी से जमकर लोहा लिया जा सके।
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