Devendra Kumar Prabhakar

Writer, Social worker, Entrepreneur
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Achievements

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कृष्णअनुसंधान अथवा भगवान से साक्षात्कार

Books by देवेन्द्र कुमार प्रभाकर

बहुत से लोगों के लिए कृष्णअनुसंधान अथवा भगवान से साक्षात्कार विषय कुछ नया हो सकता है किन्तु जब से मानव इस धरती पर आया है और मानव सभ्यता कि उत्पत्ति हुई है, बुद्धि का विकास हुआ है,

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बुद्ध शरण की राह

Books by देवेन्द्र कुमार प्रभाकर

आधुनिक युग में संसार में, खासकर भारत वर्ष में बोद्ध धर्म का प्रादुरभाव भारत की आज़ादी के बाद हुआ है, जिसका श्रेय विश्व रत्न तथागत बाबा साहब डा॰ भीमराव अंबेडकर को जाता है जिन्होंने

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डा॰ बी॰ आर॰ आंबेडकर और भारत का संविधान

Books by देवेंद्र कुमार प्रभाकर

सारा विश्व इससे परिचित है की भारत के संबिधान के प्रारूप का निर्माण करने में विश्व रत्न बाबा साहब डा॰ बी॰ आर॰ आंबेडकर की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। विश्व स्तर के कानून विशेषज्ञ, स

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सामाजिक न्याय का प्रथम सोपान - आरक्षण

Books by देवेन्द्र कुमार प्रभाकर

भारतवर्ष के संदर्भ में आरक्षण एक गूण विषय है जिसके अंतर्गत अनेक प्रकार के आरक्षण आते हैं, जैसे राजनेटिक आरक्षण, सामाजिक आरक्षण, आर्थिक आरक्षण, न्यायायिक आरक्षण, रक्षा सेवाओं मे

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सामाजिक न्याय का प्रथम सोपान - आरक्षण

Books by देवेन्द्र कुमार प्रभाकर

भारतवर्ष के संदर्भ में आरक्षण एक गूण विषय है जिसके अंतर्गत अनेक प्रकार के आरक्षण आते हैं, जैसे राजनेटिक आरक्षण, सामाजिक आरक्षण, आर्थिक आरक्षण, न्यायायिक आरक्षण, रक्षा सेवाओं मे

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शोषित के भगवान - डॉ. बी. आर. आंबेडकर

Books by देवेन्द्र कुमार प्रभाकर

हिन्दू धर्म में व्याप्त बुराइयों के कारण हिन्दू धनाद्य वर्ग ने अपने स्वार्थवश हिन्दू धर्म के ही एक बड़े समूह को जातिवाद में बाँटकर उनकी जिंदगी गुलामों से भी बदकर कर दी थी। उस बड़े

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समणों का इतिहास और उनका संघर्ष

Books by समण इंजि. डी॰ के॰ प्रभाकर

भारत में बोद्ध धर्म के पतन के सन्दर्भ में पहली शताव्दी ई. पूर्व तक बोद्ध धर्म के महायान में हिन्दू धर्म के प्रभाव को दर्शाया गया है। उसके बाद हूण आक्रमण, मुस्लिम विजेता, बचे हुए बो

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समणों का इतिहास और उनका संघर्ष

Books by समण इंजि. डी॰ के॰ प्रभाकर

भारत में बोद्ध धर्म के पतन के सन्दर्भ में पहली शताव्दी ई. पूर्व तक बोद्ध धर्म के महायान में हिन्दू धर्म के प्रभाव को दर्शाया गया है। उसके बाद हूण आक्रमण, मुस्लिम विजेता, बचे हुए बो

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समण विरोधी, हिन्दू राष्ट्र की कल्पना

Books by इंजीनियर डी॰ के॰ प्रभाकर

आरएसएस की वर्तमान रामराज्य रुपी हिन्दू राष्ट्र लाने की मंशा क्या है? इस पर विचार करने के साथ ही रामराज्य सीता हरण के आलोक में तथा मनुस्मृति के अनुसार रामराज्य अर्थात हिन्दू राष

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गुलामपंथी

Books by इंजीनियर डी॰ के॰ प्रभाकर

भारत में शोषित के भगवान बाबा साहब डॉ. अम्बेडकर के संघर्षों वल पर स्वतंत्रता से पूर्व ब्रिटिश शासकों ने कम्युनल एवार्ड द्वारा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जन जातियों को अपने प्रत

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अम्बेडकरवाद वनाम ईश्वरवाद

Books by इंजीनियर डी॰ के॰ प्रभाकर

सरकारी सुविधाओं के लालच में वह हिन्दू धर्म के आधार पर जाति प्रमाण पत्र बनवा रहे हैं और अपने आप को बोद्ध कहने में सकुचाते हैं। इसी कारण उनके अधिकारों पर संकट के बादल छा रहे हैं, क्य

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बुद्ध धम्म ही शुद्ध सनातन

Books by इंजीनियर डी॰ के॰ प्रभाकर

आजकल अम्बेडकरवाद से मुकावला करने के लिए सनातन का नाम जोरशोर से लिया जा रहा है। कल तक जिसे हिन्दुओं का महान हिन्दू धर्म बतलाया जा रहा था आज उसे सनातन कहा जा रहा है। सनातन धर्म क्या

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दो कोड़ी के लोग

Books by इंजीनियर डी॰ के॰ प्रभाकर

बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने जब कहा था कि मुझे मेरे समाज के पड़े लिखे उन लोगों ने ही धोखा दिया है जो मेरे द्वारा दिलाये गये आरक्षण की बदोलत नौकरिया पाकर अपना ही घर भरते रहे। उन्

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बहुजन खड़ा बाज़ार में

Books by इंजीनियर डी॰ के॰ प्रभाकर

आज बहुजन समाज अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहा है। आज बहुजन समाज देश के राजनैतिक बाज़ार में खड़ा हुआ है और भारत के बिभिन्न राजनैतिक दल बहुजन समाज की बोली लगा रहे हैं। उन्हें बिभिन्न प्

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महामानव की भागीरथी यात्रा का अंत

Books by इंजीनियर डी॰ के॰ प्रभाकर

महामानव के इस संघर्ष ने अपने चार चार बच्चों की बलि देकर भी इस शोषण मुक्ति के इस संग्राम को जारी रखा। एक समय ऐसा भी आया जब घर पर इस महामानव के पुत्र की मृत्यु हो गयी और इस महामानव के

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अंधविश्वास से ज़ंग

Books by इंजीनियर डी॰ के॰ प्रभाकर

अंधविश्वास के भी अपने अपने कर्म विधान होते हैं। हमारे हिन्दू धर्म शास्त्रों में प्रमुख श्रीमदभागवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं अपने श्रीमुख से भगवत प्राप्ति के तीन प्रम

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दहेज़ लीला

Books by इंजीनियर डी॰ के॰ प्रभाकर

भारतीय समाज को `दहेज़ की लपटें` अथवा उसकी तपिस आज इस प्रकार परेशान कर रही हैं कि आप किसी भी न्यायालय, परिवार न्यायालय अथवा समझोता केंद्र में चले जाय, आपको दहेज़ से पीड़ित कन्या पक्ष क

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आरक्षण की ज़ंग

Books by इंजीनियर डी॰ के ॰ प्रभाकर

आरक्षण कि ज़ंग आज की समस्या नहीं है, यह तो उसी समय प्रारम्भ हो गई थी जब मानवता ने अपने पराये की पहचान करना प्रारम्भ कर दिया था। जैसे ही मानव को यह ज्ञान प्राप्त हुआ, उसने अपने प्रतिद

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संविधान के रंग

Books by इंजीनियर डी॰ के॰ प्रभाकर

शोषित के भगवान, विश्व रत्न बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर रचित व निर्मित भारत का वर्तमान संविधान एक ऐसा विश्व प्रसिद्द लोकतांत्रिक संविधान है जिसमें जनता अपने शासक का चयन स्वयं

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रंग महल की जंग

Books by इंजीनियर डी॰ के॰ प्रभाकर

आदिकाल से लेकर अब तक भारत वर्ष में आदिवासी, वनवासी और शूद्र महिलाओं ने जितने शोषण और अपमान का जीवन जिया है वह अपने आप में उनकी सहन शक्ति का जीता जागता उदाहरण ही है। वैसे तो इसी बीच

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नई उमंग

Books by इंजीनियर डी॰ के॰ प्रभाकर

भारत में ब्रिटिश शासन के समय भी इन्होने कुछ कुछ स्वतंत्रता को महसूस किया था, किन्तु यह वर्ग पूरी तरह से स्वतंत्र हो पाया तब, जब शोषित के भगवान, विश्व रत्न बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्ब

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जल तरंग

Books by इंजीनियर डी॰ के॰ प्रभाकर

जल ही जीवन है, ऐसा भी कहा जता है, और प्रसिद्ध कवि रहीमदास जी तो यहाँ तक कह गये हैं कि ”रहिमन पानी रखिये, विन पानी सब सून”। लेकिन अगर वह पानी भी बहती हुई जल तरंगों का हो तो कहने ही क्

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पानी के रंग

Books by इंजीनियर डी॰ के॰ प्रभाकर

इस उपन्यास का केन्द्रीय पात्र एक गरीब समाज में जन्मा, और उच्च शिक्षित होकर समाज के कितने ही रंगों को देखता है और जन्म से लेकर मृत्यु पर्यंत इस पानी के बिभिन्न रंगों के संपर्क में

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एक योगी की भागीरथी यात्रा

Books by इंजीनियर डी॰ के॰ प्रभाकर

अपनी सौतेली माता के अत्याचारों से आहत होकर जिसने मात्र  सात वर्ष की अल्पायु में ही आत्महत्या करने का मन बना लिया था। लेकिन विधाता को तो कुछ और ही मंजूर था, उसने उसे आत्महत्या कर

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फर्श से अर्श तक

Books by इंजीनियर डी॰ के॰ प्रभाकर

यह फर्श से अर्श तक का सफ़र एक ऐसे महामानव का सफ़र है जिसने एक अछूत जाति में जन्म लेकर शोषित के भगवान बनने तक का सफ़र किया। जब उसने इस धरा पर जन्म लिया तब उसके समाज की जिन्दगी कीड़ों मकोड़

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श्रीकृष्ण, तथागत बुद्ध और डॉ. अम्बेडकर का ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ (एक तुलनात्मक अध्ययन)

Books by इंजीनियर डी॰ के॰ प्रभाकर

जब हम भारत वर्ष की तीन महान विभूतियों श्रीकृष्ण, बुद्ध और डॉ. अम्बेडकर की बात करते हैं तो विश्व भर में व्याप्त इनके करोड़ों अनुयाइयों की और हमारा ध्यान स्वतः ही चला जाता है। इन तीन

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कांसीराम चरित मानस “कांसीरामामायण”

Books by इंजीनियर डी॰ के॰ प्रभाकर

यह तो सभी जानते हैं कि मान्यवर कांसीराम ने पंजाब के हिन्दू धर्म की प्रसिद्ध रमदसिया सिक्ख जाति में जन्म लिया था जिसे उस समय अछूत के रूप में ही देखा जाता था। एक वीर लड़ाका शासक रमदस

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भीमचरित मानस

Books by इंजीनियर डी॰ के॰ प्रभाकर

यह तो सभी जानते हैं कि बाबा साहब डॉ॰ भीमराव अंबेडकर ने महाराष्ट्र के हिन्दू धर्म की महार जाति में जन्म लिया था उस समय उसे अछूत के रूप में ही देखा जाता था। एक वीर लड़ाका शासक महार सम

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राजनैतिक भृष्टाचार

Books by इंजीनियर डी॰ के॰ प्रभाकर

भारत  की आज़ादी के साथ ही जिस राजनैतिक चेतना का रूप उजागर हुआ उसमें एक वर्ग विशेष का ही आधिपत्य देखा गया। यहाँ तक की भारत के संबिधान के निर्माता विश्व रत्न बाबा साहब डॉ॰ भीम राव अ

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दलित स्वतन्त्रता का इतिहास

Books by इंजीनियर डी॰ के॰ प्रभाकर

जब हम दलितों की स्वतन्त्रता के इतिहास की बात करते हैं तो अनायास ही हमारा ध्यान दलितों द्वारा हिन्दू धर्म की गुलामी से मुक्ति पाने के लिए समय समय होते रहे बिभिन्न आंदोलनों की तरफ

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माँटी की माया और उसका अध्यात्म

Books by इंजीनियर डी॰ के॰ प्रभाकर

जन्म हुआ तब क्या लाया था,और क्या तू लेकर जायेगा।

इस माँटी से ही पैदा होकर, और माँटी में मिल जायेगा॥

पल पल जीव सोचता ऐसे, अब सुख साधन घर लाएगा।

पर जो सुख माँटी में मिलता है, उ

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राजनैतिक गुलामी का दस्तावेज़

Books by इंजीनियर डी॰ के॰ प्रभाकर

भारतवर्ष की स्वतन्त्रता के बाद बीसवी सदी के महानायक, दलित स्वतन्त्रता के प्रतीक, विश्व रत्न, बाबा साहब डॉ॰ भीम राव अम्बेडकर के संघर्षों के कारण भारत की संसद और विधान सभाओं में दल

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कलयुग के कर्णधार

Books by इंजीनियर डी॰ के॰ प्रभाकर

अगर हम धर्म ग्रन्थों की बात करें तो, धर्म ग्रन्थों में कलियुग के बारे में विस्तार से चर्चा की गई है। हिन्दू धर्म ग्रन्थों में समय के चक्र अनुसार चाय युग बतलाए गए हैं जिसमें कहा गय

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कन्यादान

Books by इंजीनियर डी॰ के॰ प्रभाकर

           भारतीय हिन्दू समाज में कन्याओं को बहुत ही उच्च स्थान प्राप्त  था और उन्हें पूजनीय कहा गया है। नवरात्रि के अवसर पर कन्याओं को ढूढ़  ढूढ़ कर अपने घरों पर आमंत्रित

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योग, योगी और राजनीति

Books by इंजीनियर डी॰ के॰ प्रभाकर

पोराणिक काल में योगी खाना एवं पानी पीना छोडकर भी योग के सहारे हजारों वर्षो तक कृशकाय शरीर लेकर भी जीवित रहते थे। रामायण के रचियता बाल्मीकी के बारे में तो प्रसिद्ध है कि वह योग कर

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प्रभा प्रभाकर जीवन तरंग

Books by इंजीनियर डी॰ के॰ प्रभाकर

प्रेम हृदय की ऐसी अभिव्यक्ति है,जिसकी कोई उपमा  नहीं दी जा सकती। प्रेम के क्या कहने, सृष्टि के कण कण में अनगिनत रूपों में प्रकट होता है प्रेम। प्रेम ईश्वर के प्रति सबसे सुंदर  

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चौकीदार

Books by इंजीनियर डी॰ के॰ प्रभाकर

परिवार से निकालकर जब वह समाज में आता है तो उसे अपने समाज की चिंता होने लगती है और वह समाज का चौकीदार बन जाता है। समाज की उन्नति के लिए वह सब कुछ करना चाहता है जिसकी समाज को आवश्यकता

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सत्ता की चाभी

Books by इंजीनियर डी॰ के॰ प्रभाकर

जब जब सत्ता को चुनौतियों का सामना करना पड़ा, तब तब सत्ता में बैठे राजा के सलाहकार, महामंत्री और राजगुरु का काम ही यह होता था कि वह राजा को ऐसी सलाह दे जिससे वह सत्ता में बना रह सके। स

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धर्म और उसका व्यापार

Books by इंजीनियर डी॰ के॰ प्रभाकर

भारत एक धर्म प्रधान देश है, और इसमें अनेक धर्मों का बोलबाला रहा है। प्रत्येक धर्म की अपनी अपनी मान्यताएँ है, किन्तु एक बात सभी धर्मों में एक जैसी है। प्रत्येक धर्म करुणा, बंधुत्व

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डॉ॰ अंबेडकर और उनका धम्म

Books by इंजीनियर डी॰ के॰ प्रभाकर

बाबा साहब डॉ॰ अंबेडकर कभी भी धर्म विरोधी नहीं रहे। वह धर्म को मानवता के लिए आवश्यक मानते थे। उनका परिवार कबीर पंथी था और वे जीवन के प्रारम्भ से ही संत कबीर कि शिक्षाओं से प्रभावि

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आत्म निर्भर

Books by इंजीनियर डी॰ के॰ प्रभाकर

मनुष्य का आत्मनिर्भर होना ही अपने आप में एक बहुत बड़ी उपलबद्धि होती है। उसके लिए उसे अनेक प्रयत्न करने पड़ते हैं। शिक्षा पूरी करने के उपरांत जब उसे यह ज्ञान हो जाता है कि तब उसे बिन

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बहुजन शक्ति स्वरूपा

Books by इंजीनियर डी॰ के॰ प्रभाकर

बहुजन समाज यदि विषमतावादी संस्कृति को नष्ट करके समतावादी संस्कृति के आधार पर समतामूलक समाज बनाना चाहता है तो उसे विषमतावादी संस्कृति को अलग थलग छोडकर उसके समानान्तर अपनी समता

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शक्ति स्वरूपा

Books by इंजीनियर डी॰ के॰ प्रभाकर

नारी शक्ति के बिना इस संसार में मनुष्य कुछ भी नहीं कर सकता है, क्योंकि बिना नारी शक्ति उसकी दशा बिना इन्जन वाली गाड़ी जैसी होती है। इस धरती पर सबसे पहले नारी शक्ति के रूप में माँ द

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निर्माण आंकलन

Books by देवेन्द्र कुमार प्रभाकर

मनुष्य की आधाभूत अवश्यकताओं रोटी, कपड़ा और मकान में से एक सबसे बड़ी अवश्यकता मकान की भी होती है। उसी के आधार मूलभूत ढांचे को खड़ा करने के लिए सरकार भी बिभिन्न प्रकार की परियोजनाओं क

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शोषित का संकल्प

Books by इंजीनियर डी॰ के॰ प्रभाकर

भारत एक धर्म प्रधान देश है। यहाँ बिभिन्न धर्मों के लोग अपनी बिभिन्न धर्म मर्यादायों को निभाते हुये अपना जीवन यापन करते हैं। लेकिन यह भी यहाँ की सच्चाई है की प्रायः सभी धर्मों मे

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भवन निर्माण

Books by इंजीनियर डी॰ के॰ प्रभाकर

आज तो क्या पोरामणक काल िे ही िनुष्य के जीवन की िौमलक आवश्मकताओं िें तीन िीजें प्रिुखता िे रहीं हैं, वह हैं रोटी, कपड़ा और िकान। यह िनुष्य की ऐिी िूल भूत आवश्मकतायें है मजनके मवना िा

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निर्माण श्रमिक

Books by इंजीनियर डी॰ के॰ प्रभाकर

भारत वर्ष एक कृषि प्रधान देश है, साथ ही भारत की बहु संख्यक आबादी आज भी मजदूरी पर आधारित है। चाहे वह कृषि मजदूर हों, औद्योगिक मजदूर हों अथवा निर्माण मजदूर हों। 

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परियोजना प्रबंधन

Books by इंजीनियर डी॰ के॰ प्रभाकर

भारत एक कृवर् प्रधान देि है। कृवर् के िाद, वनमाथण उद्योि भारत का दूसरा सिसे िडा उद्योि है। यह उद्योि भारत के सकल घरेलू उत्पाद का आठ प्रवतित वहस्सा है क्ोंवक यह हर साल लिभि 40 वमवलय

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बचपन एक भगवान का

Books by देवेन्द्र कुमार प्रभाकर

विश्व रत्न, शोषित के भगवान, तथागत आदि विश्लेषणों से जिनको सारा विश्व जनता है ऐसे बाबा साहब डॉ॰ भीमराव अंबेडकर के बचपन के बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं। क्योंकि जब उनका बचपन हि

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आदिमानव, उद्भव और विस्तार

Books by देवेन्द्र कुमार प्रभाकर

आदिमानव का उद्भव तथा उसका विस्तार पोराणिक काल से ही रहस्य का विषय रहा है। इस विषय में कोई भी धर्म इस पर एकमत नहीं है कि आदिमानव का जन्म तथा उसका विस्तार किस प्रकार हुआ।
पाश्चात्

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डॉ॰ अंबेडकर दर्शन

Books by देवेन्द्र कुमार प्रभाकर

विश्व में विशेष रूप से भारत वर्ष के जन मानस के हृदय में विश्व रत्न बाबा साहब डॉ॰ भीम राव अंबेडकर का दर्शन गहरे तक बैठ गया है। बाबा साहब डॉ॰अंबेडकर का दर्शन आखिर है क्या, यहाँ हम इस

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राजकीय लोकतान्त्रिक समाजवाद

Books by देवेन्द्र कुमार प्रभाकर

विश्वरत्न बाबा साहब डॉ॰ भीमराव अंबेडकर राजकीय लोकतान्त्रिक समाजवाद के प्रवल समर्थक थे। वह चाहते थे कि भारत का आर्थिक दर्शन राजकीय लोकतान्त्रिक समाजवाद पर आधारित हो। भारत की स

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भारतीय किसान बनाम ग्रामीण विकास

Books by देवेन्द्र कुमार प्रभाकर

भारत एक कृषि प्रधान देश है तथा इसकी दो तिहाई आबादी गांवों में निवास करती है। इस ग्रामीण आबादी में भी अधिकांश लोग कृषि पर निर्भर रहकर जीवन यापन करते हैं । इसके लगभग 70 प्रतिशत लोग क

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लोकतन्त्र के तानाशाह

Books by देवेन्द्र कुमार प्रभाकर

भारत की संसदीय प्रणाली में प्रधानमंत्री का एकछत्र राज चलता है। एक प्रकार से यह लोकतंत्र की तानाशाही है। क्योंकि भारतीय संसदीय प्रणाली में प्रधानमंत्री को असीमित अधिकार मिलते

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शिक्षा संघ संघर्ष प्रवीण

Books by देवेन्द्र कुमार प्रभाकर

शिक्षा, संघ (संगठन) और संघर्ष (बुराइयों से) किसी भी समाज के लिए वह रक्षा कवच रहा है जिसे धरण करके कोई सभ्य समाज अपने मान, आत्मसम्मान, स्वाभिमान तथा अपनी पीड़ी के भविष्य के गौरव को अक्

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शूद्रों का राष्ट्र निर्माण में योगदान

Books by देवेन्द्र कुमार प्रभाकर

जब हम राष्ट्र के निर्माण में शूद्रों के योगदान की बात करते है तो हमें सर्व प्रथम उस स्वर्ण युग की बात याद आती है जब कोई भी ब्राह्मण, क्षत्री, वैश्य अथवा शूद्र नहीं होता था। सभी एक उ

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पूंजीवाद

Books by देवेन्द्र कुमार प्रभाकर

पूंजीवाद व्यवस्था में आर्थिक रूप से कमजोर व श्रमिकों का खास खायाल रखा गया था।  देश में पूंजीबाद हावी न होने पाये इसके लिए सरकारी व सार्वजनिक उद्यमों तथा भारी कल कारखानों की नी

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भय, भूख और भृष्टाचार

Books by देवेन्द्र कुमार प्रभाकर

भय, भूख और भृष्टाचार एक ऐसा विषय है जो जन जीवन पर गहरा प्रभाव डालता है। इन तीनों कार्यों को नियंत्रण करने की ज़िम्मेदारी सरकार की होती है। सरकार इन तीनों ही समस्याओं को दूर करने  

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हिन्दू कोड बिल

Books by देवेन्द्र कुमार प्रभाकर

हिंदू जीवन पद्धति में बदलाव लाने के कई प्रस्ताव पहले भी हो चुके थे लेकिन इसमें शोषित, पीड़ित, अपमानजनक जीवन जीने वालों तथा सभी समाज की महिलाओ के जीवन यापन में सुधार या कोई भी बदलाव

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जातिवाद पर करें प्रहार शिक्षा, स्वस्थ्य और संस्कार

Books by देवेंद्र कुमार प्रभाकर

निःसंदेह जाति प्रथा हिन्दू धर्म के साथ ही भारतवर्ष के लगभग सभी धर्मों में व्याप्त एक सामाजिक कुरीति है। ये विडंबना ही है कि देश को आजाद हुए सात दशक से भी अधिक समय बीत जाने के बाद भ

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कोरोनावायरस और भारतीय समाज

Books by देवेन्द्र कुमार प्रभाकर

वैसे तो पूरा विश्व ही कोरोनावाइरस महामारी से तृस्त है किन्तु विकसित देशों के मुकावले भारतवर्ष की सामाजिक संरचना कुछ ऐसी है कि सामूहिक व सामुदायिक रूप में रचावसा भारतीय समुदाय

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ब्राह्मणवाद

Books by देवेन्द्र कुमार प्रभाकर

आज कल भारतीय राजनीति में जो शब्द सर्वाधिक प्रयोग होता है वह है ब्राह्मणवाद। यह ब्राह्मणवाद रूपी शब्द कहाँ से आया, यह कैसे भारतीय सामाजिक ताने बाने में रच बस गया यह एक शोध का विषय

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भारतीय समाज और जातिवाद

Books by देवेन्द्र कुमार प्रभाकर

वैसे तो भारत में खासकर हिन्दू समाज में जातिवाद रूपी कोड़ सदियों पुराना है और सदियों से शूद्र समाज को इसका डंक झेलना पड़ा है। सदियों से पीड़ित, शोषित और गुलामी जंजीरों से जकड़े इस बहु

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डा॰ बी॰ आर॰ आंबेडकर और भारत का संविधान

Books by देवेंद्र कुमार प्रभाकर

सारा विश्व इससे परिचित है की भारत के संबिधान के प्रारूप का निर्माण करने में विश्व रत्न बाबा साहब डा॰ बी॰ आर॰ आंबेडकर की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। विश्व स्तर के कानून विशेषज्ञ, स

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बुद्ध शरण की राह

Books by देवेन्द्र कुमार प्रभाकर

आधुनिक युग में संसार में, खासकर भारत वर्ष में बोद्ध धर्म का प्रादुरभाव भारत की आज़ादी के बाद हुआ है, जिसका श्रेय विश्व रत्न तथागत बाबा साहब डा॰ भीमराव अंबेडकर को जाता है जिन्होंने

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प्रभा प्रभाकर तरुणाई

Books by देवेन्द्र कुमार प्रभाकर

यह पुस्तक मेरी तरुण अवस्था में लिखी गयी कविताओं का संकलन है। कुछ कविताओं में समाज की उस अवस्था का वर्णन है जिससे एक बड़ा समाज पीड़ित रहा है। वहीं कुछ कविताओं का संबंध सामाजिक ताने

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कृष्णअनुसंधान अथवा भगवान से साक्षात्कार

Books by देवेन्द्र कुमार प्रभाकर

बहुत से लोगों के लिए कृष्णअनुसंधान अथवा भगवान से साक्षात्कार विषय कुछ नया हो सकता है किन्तु जब से मानव इस धरती पर आया है और मानव सभ्यता कि उत्पत्ति हुई है, बुद्धि का विकास हुआ है,

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शोषित के भगवान - डॉ. बी. आर. आंबेडकर

Books by देवेन्द्र कुमार प्रभाकर

हिन्दू धर्म में व्याप्त बुराइयों के कारण हिन्दू धनाद्य वर्ग ने अपने स्वार्थवश हिन्दू धर्म के ही एक बड़े समूह को जातिवाद में बाँटकर उनकी जिंदगी गुलामों से भी बदकर कर दी थी। उस बड़े

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सामाजिक न्याय का प्रथम सोपान - आरक्षण

Books by देवेन्द्र कुमार प्रभाकर

भारतवर्ष के संदर्भ में आरक्षण एक गूण विषय है जिसके अंतर्गत अनेक प्रकार के आरक्षण आते हैं, जैसे राजनेटिक आरक्षण, सामाजिक आरक्षण, आर्थिक आरक्षण, न्यायायिक आरक्षण, रक्षा सेवाओं मे

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