यह तो सभी जानते हैं कि मान्यवर कांसीराम ने पंजाब के हिन्दू धर्म की प्रसिद्ध रमदसिया सिक्ख जाति में जन्म लिया था जिसे उस समय अछूत के रूप में ही देखा जाता था। एक वीर लड़ाका शासक रमदसिया सिक्ख समुदाय को कैसे और कब अछूत बना दिया गया, यह एक शोध का विषय है। किन्तु यह सत्य है कि जन्म लेते ही मान्यवर कांसीराम को जातिगत विषमता और नफरत के घूंट पीने पड़े।
अनेक बार उन्हें जातिगत सामाजिक उत्पीड़न का शिकार होना पड़ा। किन्तु मान्यवर कांसीराम अपमान के घूंट पीकर भी अपनी शिक्षा को पाने के लक्ष्य प्राप्त करने पर अडिग रहे और अपने संघर्षों के बल पर वह बीएससी तक की शिक्षा पिछड़ों, अल्पसंख्यकों और बहुजनों को न्याय दिलाने के लिए जीवन भर संघर्ष करेंगे। तब वह समाज सेवा के साथ ही राजनीति में भी कूँद पड़े।गृहण कर पाए।
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