यह सिर्फ एक पुस्तक नही बल्कि सच में दो बूंद जिंदगी की है। एक या आदमी के जीवन से निकलकर समाज के हर पहलू को छूती हुई समाज का एक ऐसा चित्रण है जिससे प्रत्येक व्यक्ति गुजरता है और जब हम इसे पढ़ने बैठते हैं तब महसूस होता है बस इन्ही दो बूंद की तो जरूरत है जो जीवन को सार्थक कर दे।