कैसी है पुस्तक ?
यह पुस्तक 'गांव से गांव की राजधानी तक' जीवन गाथा है टुकड़ों में, एक केंद्रीय अधिकारी, जनभाषा कवि एवं लेखक की। यह एक बहुरंगी पुस्तक है जिसमें 'सत्यम शिवम सुंदरम' के तीनों रंग समाहित हैं। एक अनोखा प्रयास, रोचक एवं सरस भी, लेखक के बहुरंगी संस्मरण, आत्मकथात्मक कविताओं एवं जीवन की सर्वाधिक महत्वपूर्ण घटनाओं से मेल खाती हुई ख़ुद की लिखी कुछ कहानियों के संग।
भाग 1 -गद्य संस्मरण : यह पुस्तक का मुख्य भाग है जिसमें लेखक ने अपने बचपन से लेकर पाठशाला, कॉलेज, विश्वविद्यालय और बाद में सेवा काल की विभिन्न घटनाओं को अत्यंत मनोरंजक तरीके से प्रस्तुत किया है। इन 82 संस्मरणों में बचपन से लेकर यूरोप की यात्रा तक की घटनाओं का ब्यौरा अत्यंत आकर्षक शैली में उपलब्ध है। भाग 2 और 3 में लेखक के जीवन से संबंधित चुनिंदा कविताएं एवं कहानियां भी अत्यंत पठनीय हैं।
कुल मिलाकर प्रस्तुत आत्मकथात्मक कृति 'गांव से गांव की राजधानी तक' पठनीयता की दृष्टि से अत्यंत उत्तम पुस्तक है और आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि यह पुस्तक पाठकों का स्नेह प्राप्त करने में पूर्णतः सफल होगी। यह पुस्तक अवश्य पठनामृत साबित होगी।