“गवाक्ष” काव्यचेतना को प्रदर्शित करती द्वितीय पुस्तक है। इसमें जीवन के विभिन्न चरणों (जैसे- प्रेम, विरह, यौवन, आदि) की व्याख्या को कवि ने अपनी रचनाओं द्वारा संचयन है।
“गवाक्ष” काव्य रचनाओं में सामाजिक व मानसिक संचरणों से प्रेरित कृतियों को एक स्थान पर एकत्रित देखकर पाठकों को उनके भीतर व्याप्त एकता के सूत्रों को समझने में अधिक सहायता मिल सकेगी। इनमें कवि ने अपने युग के बहिरंतर के जीवन तथा चैतन्य को, नवीन मानवता की कल्पना से मंडित कर, वाणी देने का प